हिंदू पंचांग के अनुसार, शुक्रवार, 14 मार्च 2025 से खरमास आरंभ होगा, जिससे शुभ और मांगलिक कार्यों पर अस्थायी विराम लग जाएगा। 

14 अप्रैल, सोमवार को जब सूर्य मेष राशि में प्रवेश करेंगे, तब खरमास समाप्त होगा।  

खरमास के दौरान भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना, पाठ, यज्ञ, दान आदि करने से अत्यधिक पुण्य फल प्राप्त होता है।  

Fill in some text

ज्योतिषाचार्य के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा के दिन, 14 मार्च शुक्रवार को रात्रि 08:54 बजे सूर्य कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे खरमास आरंभ होगा। 

सूर्य के मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास की शुरुआत हो जाएगी। सूर्य को संक्रांति और लग्न का स्वामी माना जाता है, और उनकी राशि में परिवर्तन ही खरमास का संकेत होता है। 

खरमास मार्च में कब से शुरू होगा? ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, विवाह संस्कार के लिए गुरु, शुक्र और सूर्य की शुभ स्थिति आवश्यक होती है। 14 मार्च से 14 अप्रैल तक सूर्य मीन राशि में संक्रांति करेंगे, जिससे खरमास रहेगा और इस दौरान कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य संपन्न नहीं किए जाएंगे।

खरमास के समाप्त होने के बाद विवाह के लिए कुल 22 शुभ मुहूर्त उपलब्ध होंगे। 

मिथिला पंचांग के अनुसार, अप्रैल में 7, मई में 11 और जून में 4 शुभ विवाह मुहूर्त निर्धारित हैं। इसके पश्चात चातुर्मास प्रारंभ होने के कारण चार महीने तक विवाह एवं अन्य मांगलिक कार्यों पर प्रतिबंध रहेगा। 

मिथिला पंचांग के अनुसार विवाह मुहूर्त अप्रैल: 16, 18, 20, 21, 23, 25, 30 मई: 1, 7, 8, 9, 11, 18, 19, 22, 23, 25, 28 जून: 1, 2, 4, 6 बनारसी पंचांग के अनुसार विवाह मुहूर्त अप्रैल: 14, 15, 16, 17, 18, 19, 20, 21, 25, 26, 29, 30 मई: 1, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16, 17, 18, 22, 23, 24, 28 जून: 1, 2, 3, 4, 5, 7, 8

कृष्ण पक्ष का क्या मतलब है?इस दौरान क्यों नहीं किये जाते शुभ कार्य?