करवा चौथ का महत्व
करवा चौथ सुहागिन महिलाओं के लिए विशेष दिन है, जब वे अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
व्रत की परंपरा
इस दिन महिलाएं सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक निर्जल व्रत रखती हैं।
वीरवती की कहानी की शुरुआत
करवा चौथ की प्रसिद्ध कहानी वीरवती नामक महिला से जुड़ी है, जो एक राजा की इकलौती बेटी थी।
वीरवती का पहला व्रत
वीरवती ने शादी के बाद अपना पहला करवा चौथ व्रत रखा था, लेकिन भूख के कारण वह बेहोश हो गई।
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भाइयों का छल
वीरवती के भाइयों ने उसे बचाने के लिए झूठा चांद दिखाया, जिससे उसने अपना व्रत तोड़ दिया।
व्रत टूटने का परिणाम
व्रत तोड़ने के बाद वीरवती के पति की मृत्यु हो गई, जिससे वह बेहद दुखी हो गई।
वीरवती की भक्ति
वीरवती ने अपनी पति की जान वापस पाने के लिए पूरे वर्ष कठिन तपस्या की और अगले करवा चौथ तक व्रत रखा।
यमराज का आशीर्वाद
वीरवती की भक्ति से प्रसन्न होकर यमराज ने उसके पति को जीवनदान दिया।
करवा चौथ की कथा का संदेश
करवा चौथ की यह कहानी प्रेम, त्याग और विश्वास का प्रतीक है, जो हर सुहागिन महिला के जीवन का हिस्सा है।
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