करवा चौथ का पर्व भारतीय विवाहित महिलाओं के लिए अत्यधिक महत्व रखता है। यह पर्व पति की लंबी आयु, स्वास्थ्य और सुख-समृद्धि की कामना के लिए मनाया जाता है।
इस व्रत की शुरुआत एक विशेष भोजन, जिसे सरगी कहा जाता है, से की जाती है। सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले किया जाता है, और इसे ग्रहण करने का समय व मुहूर्त बेहद महत्वपूर्ण होता है।
सरगी में पोषण और ऊर्जा देने वाले पदार्थ शामिल होते हैं, जो पूरे दिन उपवास रखने वाली महिलाओं को शक्ति प्रदान करते हैं। सही समय पर और शुभ मुहूर्त में सरगी का सेवन करना न केवल शारीरिक रूप से लाभकारी होता है
सरगी का सेवन न केवल शरीर को ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि इसे विवाहित जीवन की शुभता और अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
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सरगी की परंपरा हमारे समाज में प्राचीन काल से चली आ रही है और इसे विवाहित जीवन में सुख-शांति और समृद्धि के प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
सरगी में ऐसे भोजन होते हैं जो पूरे दिन बिना जल और भोजन के उपवास करने वाली महिलाओं को आवश्यक पोषण प्रदान कर सकें। सरगी में शामिल किए जाने वाले कुछ प्रमुख खाद्य पदार्थ इस प्रकार हैं:
पूरी और आलू की सब्जी,दूध और मिष्ठान्न,मेवे,फल,दही,फेनी या सेवईं
सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले करना अनिवार्य होता है।
सरगी का सेवन सूर्योदय से पहले करना आवश्यक होता है। यह शुभ समय अमृत बेला या ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है, जोकि सूर्योदय से लगभग 2 घंटे पहले का समय होता है।
इस बार करवा चौथ 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन सूर्योदय से 2 घंटे पहले सरगी में शामिल चीजों का सेवन करले। 20 अक्टूबर को सूर्योदय सुबह 6 बजकर 20 मिनट पर होगा, तो ऐसे में सुबह 4 बजकर 20 मिनट से पहले सरगी खाले।
Karwa Chauth 2024:करवा चौथ, सुहागिनों का व्रत और पवित्र प्रेम की कहानी