कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करना धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि इस मास में भगवान विष्णु जल के भीतर निवास करते हैं, और इसलिए किसी भी नदी या तालाब में स्नान करने से भगवान विष्णु की पूजा का विशेष फल प्राप्त होता है।

इस मास में स्नान केवल शारीरिक शुद्धि का साधन नहीं, बल्कि आत्मिक शुद्धि का भी माध्यम है।

जो व्यक्ति नियमित रूप से इस मास में स्नान करके भगवान विष्णु की आराधना करता है, वह भगवान का प्रिय बन जाता है और उसे जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

पद्म पुराण की कथा: सत्यभामा की पुण्य प्राप्ति

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पद्म पुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार, कार्तिक मास में स्नान और पूजा के पुण्य से ही सत्यभामा को भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

कथा के अनुसार, सत्यभामा अपने पूर्व जन्म में एक ब्राह्मण की पुत्री थी, जिसका जीवन कठिनाइयों से भरा हुआ था।

उसके पति और पिता की मृत्यु के बाद, उसने स्वयं को भगवान विष्णु की भक्ति में समर्पित कर दिया।

वह नियमित रूप से एकादशी का व्रत करती थी और कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान करके भगवान विष्णु की पूजा करती थी।

एक दिन जब वह गंगा में स्नान कर रही थी, तब उसकी मृत्यु हो गई और तुरंत विष्णु लोक से एक विमान आया, जिसने उसे विष्णु लोक पहुंचाया।

अगले जन्म में, ब्राह्मण की पुत्री ने सत्यभामा के रूप में जन्म लिया और भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी बनी।

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