पौष माह में आने वाली एकादशी को "पुत्रदा एकादशी" कहा जाता है। यह व्रत खासतौर पर उन महिलाओं द्वारा रखा जाता है जो संतान प्राप्ति की कामना करती हैं।
धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत और भगवान विष्णु की पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है।
इस एकादशी को पूर्ण श्रद्धा और नियम के साथ करने से परिवार में सुख-समृद्धि और शांति का वास होता है।
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धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की सच्चे मन से पूजा करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है।
इस व्रत को करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग भी प्रशस्त होता है। इस दिन व्रत और पूजा के साथ कुछ खास उपाय करने से अधिक लाभ प्राप्त होता है।
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए विशेष उपाय किए जा सकते हैं। इस दिन विष्णु सहस्त्रनाम का जाप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। मान्यता है कि इस जाप से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और नकारात्मकता समाप्त हो जाती है। जिन दंपतियों को संतान सुख की इच्छा होती है, उनके लिए यह उपाय संतान प्राप्ति के योग बनाने में सहायक होता है।
पुत्रदा एकादशी के दिन यदि तुलसी की माला से ‘ॐ देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते, देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः’ मंत्र का जाप किया जाए, तो संतान प्राप्ति की कामना पूर्ण होती है।
पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के फूल चढ़ाने का विशेष महत्व है। यह उपाय न केवल संतान प्राप्ति की कामना पूरी करता है, बल्कि जीवन में सुख-समृद्धि और शांति भी लाता है। पुत्रदा एकादशी पर यह सरल उपाय करने से भगवान विष्णु की कृपा से मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
इस दिन व्रत रखने वाले व्यक्तियों को अपने सामर्थ्य के अनुसार जरूरतमंदों की सहायता करनी चाहिए। जो लोग संतान सुख की कामना रखते हैं, उनके लिए यह दिन अत्यंत फलदायी हो सकता है। सच्चे मन और श्रद्धा के साथ किए गए दान से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं और जीवन में सुख-शांति आती है।
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