By Neha Pandey Date: 11/04/2025
इन शक्तियों का तात्पर्य न केवल आध्यात्मिक सिद्धि से है, बल्कि जीवन में आने वाले हर प्रकार के संकट से उबरने की क्षमता भी इनमें निहित है। अष्ट सिद्धियाँ आत्मबल, चमत्कारिक क्षमताओं और योग की उच्च अवस्था को दर्शाती हैं, वहीं नव निधियाँ भौतिक और मानसिक समृद्धि का प्रतीक हैं।
आइए जानते हैं क्या हैं हनुमान जी अष्ट सिद्धियां
अष्ट सिद्धियाँ: आठ दिव्य शक्तियाँ 1. अणिमा – यह शक्ति शरीर को अति सूक्ष्म करने की क्षमता देती है, जिससे साधक अदृश्य हो सकता है। हनुमान जी इस सिद्धि से अपने आकार को इतना छोटा कर सकते थे कि वे किसी की नजर में न आएं।
2. महिमा – इस सिद्धि से वे अपने शरीर को विशाल रूप में परिवर्तित कर सकते थे। लंका दहन के समय उनका यह रूप विशेष रूप से देखा गया।
3. गरिमा – इससे शरीर को इतना भारी बनाया जा सकता है कि कोई उसे हिला भी न सके। हनुमान जी को यह शक्ति प्राप्त थी, जिससे वे अडिग और अचल बन सकते थे।
4. लघिमा – इस सिद्धि के प्रभाव से वे अत्यंत हल्के हो जाते थे और वायु के समान गति से आकाश में उड़ सकते थे। 5. प्राप्ति – इस सिद्धि द्वारा वे किसी भी वस्तु या स्थान को शीघ्रता से प्राप्त कर सकते थे। स्थान, समय और दूरी उनके लिए बाधा नहीं बनती थी।
6. प्राकाम्य – इससे वे पंचमहाभूतों जैसे जल, अग्नि, वायु आदि पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते थे। यह शक्ति उन्हें प्रकृति पर प्रभावी बनाती थी।
7. ईशित्व – दूसरों पर प्रभुत्व स्थापित करने की क्षमता। इस सिद्धि से वे किसी भी परिस्थिति को अपने अनुकूल बना सकते थे। 8. वशित्व – मन, इंद्रियों और स्वभाव को नियंत्रित करने की क्षमता। यह सिद्धि उन्हें आत्मसंयमी और इच्छाशक्ति में सर्वोच्च बनाती थी।