30 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। काशी में इस दौरान नौ दुर्गा और नौ गौरी की पूजा करने की परंपरा है। 

इस वर्ष नवसंवत्सर के राजा और मंत्री सूर्य होंगे, जो 10 साल बाद बन रहा है। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ ही नवरात्र और हिंदू नववर्ष का शुभारंभ होगा। 

पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 29 मार्च को शाम 4:27 बजे शुरू होगी और 30 मार्च को दोपहर 12:49 बजे समाप्त होगी। 

विशेष रूप से, पंचमी तिथि के लोप के कारण इस बार नवरात्र केवल आठ दिनों तक मनाया जाएगा। नववर्ष को कालयुक्त संवत्सर कहा जाएगा, जो ज्योतिषीय दृष्टि से भी विशेष महत्व रखता है। 

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चैत्र नवरात्रि 2025 कलश स्थापना मुहूर्त  चैत्र नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व होता है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित करने से मां दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है। वर्ष 2025 में कलश स्थापना के लिए निम्नलिखित शुभ समय निर्धारित किया गया है: 

प्रथम मुहूर्त: 30 मार्च 2025, प्रातः 6:13 बजे से 10:22 बजे तक। द्वितीय मुहूर्त (अभिजीत मुहूर्त): 30 मार्च 2025, दोपहर 12:01 बजे से 12:50 बजे तक। इन पावन मुहूर्तों में कलश स्थापना करना अत्यंत शुभ और फलदायी माना जाता है। आप अपने घर या पूजा स्थल पर विधिपूर्वक कलश स्थापित करके मां दुर्गा की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

इस कारण सिर्फ 8 दिन रहेगी नवरात्रि इस वर्ष नवरात्रि में पंचमी तिथि के लोप होने के कारण व्रत और पूजन केवल आठ दिनों तक ही होगा। अष्टमी का व्रत 5 अप्रैल को रखा जाएगा, जबकि संधि पूजन 6 अप्रैल को संपन्न होगा। इसी दिन नवमी तिथि के साथ नवरात्रि का समापन भी होगा। इसके अतिरिक्त, 6 अप्रैल को ही श्रीराम जन्मोत्सव भी पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा।

इस पक्ष में पंचमी तिथि के लोप होने के कारण इसकी अवधि 14 दिनों की होगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता का आगमन और गमन हाथी पर होने से इस नवरात्रि को अत्यंत शुभ और फलदायी माना जा रहा है।  

इससे घर-परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का संचार होगा। मान्यता है कि इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी और मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम तथा धर्मराज युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी तिथि को संपन्न हुआ था। 

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