भगवद गीता, जो जीवन के गूढ़ रहस्यों और आध्यात्मिक ज्ञान का असीम भंडार है, हमें आत्मा, शरीर, और कर्तव्य के संबंध में महत्वपूर्ण शिक्षा देती है। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को जीवन के वास्तविक स्वरूप को समझाने के लिए जो उपदेश दिया, वह न केवल युद्ध के मैदान में बल्कि हमारे दैनिक जीवन में भी गहरे अर्थ रखता है।

इसी श्रृंखला में श्लोक 2.18(Bhagavad Gita Chapter 2 Shloka 18) हमें आत्मा और शरीर के गूढ़ सत्य से परिचित कराता है। यह श्लोक आत्मा की शाश्वतता और शरीर की नश्वरता के बीच के संबंध को स्पष्ट करता है और हमें यह सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों से विमुख नहीं होना चाहिए, चाहे हमारे सामने कितनी भी चुनौतियाँ क्यों न हों।

श्लोक: अन्तवन्त इमे देहा नित्यस्योक्ताः शरीरिणः | अनाशिनोSप्रमेयस्य तस्माद्युध्यस्व भारत ||

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भावार्थ

इस श्लोक में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को बताते हैं कि यह भौतिक शरीर नश्वर है, जिसका अंत निश्चित है। परंतु आत्मा, जो इस शरीर में निवास करती है, न तो कभी नष्ट होती है और न ही इसे मापा जा सकता है। इसलिए, हे भारतवंशी अर्जुन, तुम शोक मत करो और अपने धर्म के अनुसार कर्तव्यों का पालन करते हुए युद्ध करो।

यह श्लोक यह संदेश देता है कि शरीर का अंत निश्चित है, परंतु आत्मा अमर और अपरिमेय है। इस दृष्टिकोण से, हमें भौतिक शरीर के नाश से दुखी नहीं होना चाहिए और जीवन के कर्तव्यों को निभाने में तत्पर रहना चाहिए।

यह श्लोक हमें यह समझने में मदद करता है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से घबराने की आवश्यकता नहीं है। आत्मा अमर है और शरीर का नाश तो केवल समय की बात है। इस सत्य को समझने से हमें जीवन में शांति और संतोष प्राप्त होता है।

श्लोक 2.18 हमें यह शिक्षा देता है कि हमें अपने कर्तव्यों से कभी पीछे नहीं हटना चाहिए। चाहे हमारे सामने कितनी भी कठिनाइयाँ क्यों न हों, हमें धर्म और सत्य के मार्ग पर चलते हुए अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

गीता का यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि आत्मा और शरीर दो अलग-अलग तत्व हैं। शरीर नाशवान है, लेकिन आत्मा शाश्वत है। इस सत्य को समझने से जीवन में शोक और भय का अंत होता है।

गीता के अनुसार आत्मा अजर-अमर है। यह जन्म और मृत्यु के चक्र से मुक्त है और शरीर के साथ इसका कोई सीधा संबंध नहीं होता। आत्मा का यह शाश्वत स्वरूप हमें यह समझने में मदद करता है कि शरीर के नाश से हमें भयभीत नहीं होना चाहिए।

Bhagavad Gita: गीता के श्लोक में श्रीकृष्ण आत्मा की अमरता और शाश्वतता का महत्व समझाते हैं