भारत विविधताओं का देश है, जहाँ हर पर्व और त्योहार का एक खास महत्व और परंपरा होती है। इसी प्रकार दिवाली के ठीक बाद आने वाले आंवला नवमी का त्योहार भी विशेष महत्व रखता है।

आंवला नवमी का पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की नवमी को मनाया जाता है। वर्ष 2024 में यह पर्व 10 नवंबर को मनाया जाएगा।

इस दिन का विशेष महत्त्व है क्योंकि आंवला को पवित्र और औषधीय गुणों से भरपूर माना गया है। आंवला नवमी के दिन इस वृक्ष की पूजा की जाती है और इसके फल को स्वास्थ्य लाभ के लिए ग्रहण किया जाता है।

आंवला नवमी का त्योहार न केवल धार्मिक बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है।

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आंवले के वृक्ष में वास होता है।

इसलिए आंवला वृक्ष की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

न भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का आंवले के वृक्ष में वास होता है। इसलिए आंवला वृक्ष की पूजा करने से जीवन में सुख-समृद्धि, धन और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में आंवले को अमृत का प्रतीक माना गया है, और इसे देवी लक्ष्मी का प्रिय फल माना जाता है।

इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भोजन करने से जीवन में सुख-शांति और समृद्धि आती है।

हिंदू धर्म के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने देवताओं और राक्षसों के बीच समुद्र मंथन किया, तब अमृत की प्राप्ति हुई। अमृत की बूंदों से आंवले का निर्माण हुआ, और इसी कारण इसे अमृत फल कहा जाता है।

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