स्वधर्म का अर्थ: स्वधर्म का मतलब है व्यक्ति द्वारा अपने स्वभाव और कर्तव्यों के अनुसार कार्य करना।

स्वभाव के अनुसार कर्म: हर व्यक्ति को अपने जन्मजात गुणों और प्रवृत्तियों के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

परिस्थिति की भूमिका: स्वधर्म का पालन करने में व्यक्ति की परिस्थिति का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है, जो सही निर्णय लेने में मदद करता है।

अधिकार और कर्तव्य: स्वधर्म में व्यक्ति को न केवल अपने अधिकारों का बल्कि अपने कर्तव्यों का भी ध्यान रखना चाहिए।

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समाज के प्रति जिम्मेदारी: स्वधर्म का पालन समाज और परिवार के प्रति व्यक्ति की जिम्मेदारियों को निभाने का भी प्रतीक है।

आत्म-संतोष: स्वधर्म का पालन करने से व्यक्ति को आत्म-संतोष और मानसिक शांति मिलती है।

आध्यात्मिक उन्नति: स्वधर्म से व्यक्ति केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी बढ़ता है।

धर्म का पालन: स्वधर्म व्यक्ति को धर्म के पथ पर अग्रसर करता है, जिससे वह अपने जीवन के उद्देश्य को प्राप्त कर सके।

कर्म का प्रभाव: स्वधर्म के अनुसार कर्म करने से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाता है और माया के बंधनों से मुक्त होता है।

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