क्या आपके मन में बार-बार नकारात्मक विचार आते हैं?प्रेमानंद जी महाराज के विचारों से जानिए कि कैसे मन को शुद्ध, शांत और सकारात्मक बनाया जा सकता है।
स्थान का गहरा प्रभावमहाराज जी कहते हैं, आप जहां रहते हैं, वहां की ऊर्जा आपके विचारों को प्रभावित करती है।अशुद्ध स्थान से दूरी बनाएं, पवित्र वातावरण को अपनाएं।
अन्न से बनती है बुद्धिजैसा भोजन करेंगे, वैसी ही सोच बनती है।अधर्म से कमाया अन्न और नकारात्मक भाव से बना भोजन मन को दूषित करता है।
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शुद्ध जल का महत्वजल सिर्फ शरीर ही नहीं, मन को भी प्रभावित करता है।पवित्र नदी का जल जैसे यमुना जल, मन में शांति और साधना की भावना जाग्रत करता है।
विकार कब आते हैं?अगर अचानक मन में गंदे विचार आने लगें तो जांचें – कहीं भोजन दोष या बुरे दृश्य तो जिम्मेदार नहीं?ऐसी स्थिति में उपवास रखें और ईश्वर का स्मरण करें।
सत्संग का असरजहां साधु-संतों की वाणी गूंजती है, वहां बैठने से मन स्वतः शांत हो जाता है।सत्संग से विचारों की दिशा बदलती है।
वासनात्मक स्थानों से दूरीऐसे स्थान या लोग जो काम, क्रोध और लोभ बढ़ाते हैं – उनसे दूर रहना ही सही उपाय है।मन को गंदगी से बचाने के लिए यह जरूरी है।
साधना है समाधानभोजन, स्थान और जल पर संयम रखकर साधना करें।नाम स्मरण और भजन से ही मन की शुद्धि संभव है।
प्रेमानंद जी महाराज का संदेश है – मन को शुद्ध करने के लिए जीवनशैली में बदलाव जरूरी है।संयम, साधना और सेवा – यही सच्ची मानसिक शुद्धता का मार्ग है।
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