गुरु दक्षिणा का असली अर्थ क्या है?
प्रेमानंद जी महाराज बताते हैं कि सच्ची गुरु दक्षिणा कोई भौतिक वस्तु नहीं बल्कि आत्मा की ईमानदारी से की गई साधना है।
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गुरु को चाहिए केवल नाम-स्मरण
संत कहते हैं कि गुरु ने जो नाम दिया है, उसका जाप करना ही गुरु को दी जाने वाली सबसे बड़ी दक्षिणा है।
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रुपया, फल या कपड़े नहीं, भक्ति चाहिए
गुरु को धन या सामग्री नहीं चाहिए, वे चाहते हैं कि शिष्य प्रभु को समर्पित हो जाए।
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गुरु की सबसे बड़ी चाह क्या है?
गुरु यही चाहते हैं कि शिष्य का अज्ञान मिटे और उसे भगवतप्राप्ति हो।
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गुरु की आज्ञा का पालन ही सेवा है
मन, वचन और कर्म से गुरु की आज्ञा का पालन करना ही श्रेष्ठ सेवा मानी जाती है।
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गुरु की एक ही आज्ञा – भजन करो
गुरु की आज्ञा है कि अच्छे आचरण के साथ ईश्वर का भजन किया जाए और प्रभु को पाया जाए।
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सांसारिक चीजों का कोई मूल्य नहीं
गुरु को संसार की वस्तुएं नहीं चाहिए, उनके लिए आत्मिक विकास सबसे बड़ी भेंट है।
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जो गुरु से जुड़ा, वह धन्य हुआ
गुरु के बताए मार्ग पर चलकर ही जीवन का अंधकार दूर होता है और आत्मा को प्रकाश मिलता है।
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गुरु दक्षिणा का रहस्य समझें और जीवन बदलें
प्रेमानंद जी महाराज की यह सीख आपके जीवन को नई दिशा दे सकती है – सच्ची दक्षिणा भक्ति है, भौतिक वस्तु नहीं।
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प्रेमानंद जी महाराज के 9 विचार जो बदल सकते हैं आपका जीवन
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