ध्यान क्या है? प्रेमानंद जी महाराज की दृष्टि प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार ध्यान सिर्फ आंख मूंद लेना नहीं है, यह मन, चित्त और आत्मा की परमात्मा में तन्मयता है।

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ध्यान क्या है? प्रेमानंद जी महाराज की दृष्टि प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार ध्यान सिर्फ आंख मूंद लेना नहीं है, यह मन, चित्त और आत्मा की परमात्मा में तन्मयता है।

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हर पल में हो ईश्वर का स्मरण सोते-जागते, चलते-फिरते, खाते-पीते हर समय भगवान का स्मरण ही सच्चा ध्यान है।

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नाम जप है ध्यान का मूल स्तंभ प्रेमानंद जी महाराज समझाते हैं कि नाम जप से चित्त शुद्ध होता है और मन भगवान में स्थिर हो जाता है।

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ध्यान के लिए आकार और निराकार दोनों महत्वपूर्ण श्रीराम, श्रीकृष्ण, शिव – इन रूपों का ध्यान करें, इससे निराकार का अनुभव जागृत होता है।

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आत्मा का परम लक्ष्य – भगवान का दर्शन “मम दर्शन फल परम अनूपा, जीव पाव निज सहज स्वरूपा” – भगवान के दर्शन से आत्मा अपना मूल स्वरूप जानती है।

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ध्यान और कर्म एक साथ संभव है जैसे अर्जुन ने युद्ध करते हुए श्रीकृष्ण का स्मरण किया, वैसे हम भी कर्म करते हुए ध्यान में रह सकते हैं।

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जल्दी-जल्दी करो भजन, समय अमूल्य है जीवन अनमोल है, इसलिए प्रेमानंद जी कहते हैं कि शीघ्र भजन कर कल्याण सुनिश्चित करें।

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ध्यान से जीवन होगा सार्थक ध्यान, नाम जप और भक्ति से ही आत्मा परमात्मा से मिलती है और जीवन को मिलती है सच्ची दिशा।

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मौत से डर लगता है? प्रेमानंद जी महाराज से जाने इस डर पर विजय कैसे पाये