कार्तिक मास के प्रमुख त्योहारों में से एक, गोपाष्टमी का पर्व बृजमंडल में विशेष श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष गोपाष्टमी का पर्व 9 नवंबर, रविवार को मनाया जाएगा।

इस दिन बृजमंडल में देशी-विदेशी भक्त भगवान श्रीकृष्ण के गौ प्रेम को याद करते हुए गायों का पूजन करेंगे और द्वापर युग में भगवान कृष्ण द्वारा की गई गौचारण लीला का आयोजन करेंगे।

क्यों मनाया जाता है गोपाष्टमी का पर्व?

गोपाष्टमी के पीछे भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की एक महत्वपूर्ण घटना छिपी है। द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का गौ प्रेम प्रसिद्ध था।

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उनके माता-पिता, नंद बाबा और यशोदा माता, उन्हें छोटे होने के कारण गाय चराने से रोकते थे।

लेकिन भगवान कृष्ण की इच्छा थी कि वे भी अपने मित्रों के साथ जंगल में जाकर गायों को चराएं और उनके साथ खेलें।

कहा जाता है कि श्रीकृष्ण ने कई बार नंद बाबा से पूछा कि वे गाय चराने कब जा सकते हैं। नंद बाबा ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे शीघ्र ही एक उपयुक्त मुहूर्त निकालेंगे।

लेकिन जब एक दिन भगवान श्रीकृष्ण ने जिद्द पकड़ी और नंद बाबा के साथ ब्राह्मण के पास मुहूर्त निकलवाने पहुंचे, तो वहां खड़े कृष्ण को देखकर ब्राह्मण ने कहा कि उनके सामने मुहूर्त की आवश्यकता नहीं है।

ब्राह्मण ने नंद बाबा को बताया कि उस दिन का मुहूर्त शुभ है और यदि श्रीकृष्ण को गाय चराने जाना है, तो वे उसी दिन से जा सकते हैं, क्योंकि अगले एक वर्ष तक कोई और मुहूर्त उपलब्ध नहीं होगा। नंद बाबा ने इसे भगवान का आदेश मानते हुए श्रीकृष्ण को गाय चराने की अनुमति दे दी।

इस शुभ समाचार के बाद, भगवान श्रीकृष्ण ने गायों को सजाना-संवारना शुरू किया और माता यशोदा ने भी उनकी सहायता की। इसके बाद श्रीकृष्ण अपने सखाओं के साथ गायों को चराने जंगल चले गए। इस घटना के उपलक्ष्य में ही गोपाष्टमी पर्व मनाने की परंपरा शुरू हुई

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