क्या कलियुग में मोक्ष मिल सकता है? प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं — हां, यह संभव है। यदि हमारा चिंतन शुद्ध हो और आचरण पवित्र, तो यही कलियुग हमें मोक्ष का मार्ग दे सकता है। 

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हम राधा युग के जीव हैं, न कि कलियुगी महाराज जी बताते हैं — खुद को कलियुग का मानना ही सबसे बड़ी बाधा है। राधा-नाम का स्मरण करें, वही हमारी आत्मा का उद्धार करेगा। 

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जैसा चिंतन, वैसा अनुभव यदि आप रात को नकारात्मक विचारों के साथ सोएंगे, तो स्वप्न भी वैसे ही होंगे। राम, श्याम, सीता का चिंतन करें और जीवन में शुभता लाएं। 

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वर्तमान को सुधारें, भविष्य अपने आप सुधरेगा प्रेमानंद जी का मानना है कि यदि आज का आचरण पवित्र है, तो भविष्य मंगलमय होगा। चिंता छोड़ें, साधना करें। 

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दृष्टि और दृष्टिकोण को शुद्ध करें हर स्त्री में माँ, बहन, देवी का स्वरूप देखें। गलत नजर या विचार ही कलियुग की असली पहचान है। 

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कलियुग आपके मन और कर्म में बसता है यदि आचरण और विचार शुद्ध हो जाएं, तो कलियुग भी तपोभूमि बन सकता है। सब कुछ आपके सोचने के तरीके पर निर्भर करता है। 

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राम-नाम का जप ही सबसे बड़ा उपाय है प्रेमानंद जी कहते हैं — नाम जप करें, हर समय करें। यही ध्यान, यही साधना, यही मोक्ष का मार्ग है।

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सच्चे विश्वास से करें राम का स्मरण "कलियुग सम युग आन नहिं..." — जो राम के गुणों का बखान करता है, वह संसार सागर को बिना प्रयास पार कर सकता है। 

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मोक्ष की कुंजी: आचरण + नाम जप + विश्वास प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि आप पवित्र जीवन जीते हैं, नाम जप करते हैं और भगवान पर विश्वास रखते हैं — तो मोक्ष निश्चित है। 

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मौत से डर लगता है? प्रेमानंद जी महाराज से जाने इस डर पर विजय कैसे पाये