कर्म योग का अर्थ: कर्म योग का मतलब है निष्काम भाव से कार्य करना, बिना किसी फल की इच्छा के।
भगवद गीता में कर्म योग: भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने कर्म योग की शिक्षा दी, जहां व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए फल की चिंता छोड़ने की बात कही गई है।
निष्काम कर्म: कर्म योग में निष्काम भाव से काम करने का महत्व है, यानी बिना किसी स्वार्थ या लालसा के कार्य करना।
ध्यान केंद्रित करना: कर्म योग में ध्यान इस बात पर होता है कि व्यक्ति अपने कर्तव्यों को पूरी निष्ठा और समर्पण के साथ निभाए।
Fill in some text
मानसिक शांति: कर्म योग से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है, क्योंकि वह अपने कर्मों को लेकर चिंता नहीं करता है।
समानता का भाव: कर्म योग व्यक्ति को हर परिस्थिति में समानता का भाव सिखाता है, चाहे सफलता मिले या असफलता।
अहंकार का त्याग: कर्म योग अहंकार से मुक्त होकर काम करने की प्रेरणा देता है, जिससे जीवन में सच्ची प्रगति होती है।
आध्यात्मिक विकास: कर्म योग के माध्यम से व्यक्ति केवल भौतिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति की ओर भी अग्रसर होता है।
मोक्ष की प्राप्ति: कर्म योग से व्यक्ति अपने कर्मों के माध्यम से मोक्ष प्राप्त कर सकता है, क्योंकि यह आत्मज्ञान और ईश्वर से जुड़ने का मार्ग है।