क्या भगवान सच में होते हैं? एक भक्त ने प्रेमानंद जी महाराज से पूछा—"भगवान हैं, इसका प्रमाण क्या है?" महाराज जी का जवाब आपके जीवन की सोच बदल देगा। 

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भगवान को जानने का तरीका प्रेमानंद जी बोले—जिस तरह असली पिता को केवल मां जानती है, उसी तरह भगवान का अनुभव केवल सद्गुरु करवा सकते हैं।

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क्या हर रचना का रचयिता होता है? सृष्टि है तो उसका रचयिता भी है। जैसे पुत्र है तो पिता भी होगा। लेकिन ये ज्ञान तर्क से नहीं, साधना से मिलेगा।

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साधना से मिलता है प्रमाण महाराज जी कहते हैं—भगवान को जानना है तो तर्क छोड़ो, साधना करो। शुद्ध आहार लो और नाम जप करो।

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स्वाद का अनुभव तभी होगा अगर मुख में कड़वाहट हो तो मिश्री भी मीठी नहीं लगेगी। वैसे ही मन अशांत हो तो ईश्वर का अनुभव नहीं होगा। 

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तीन बातें जो अनुभव दिलाएंगी प्रेमानंद जी की सीख: शुद्ध आहार लो, नाप जप करो और किसी असहाय की मदद करो। फिर ईश्वर से अनुभव की प्रार्थना करो। 

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सभी चेहरों में एक रचयिता अरबों लोगों के चेहरे अलग हैं, फिर भी सबका भरण-पोषण हो रहा है। जैसे राष्ट्रपति होता है, वैसे ही ब्रह्मांड का कर्ता भी है। 

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ब्रह्मा जी को कैसे मिला अनुभव? ब्रह्मा जी ने सौ दिव्य वर्षों तक तप किया, तब उन्हें अनुभव हुआ कि वे भगवान की नाभि से प्रकट हुए हैं।

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ईश्वर हर जगह हैं, फर्क है दृष्टि का "जाकी रही भावना जैसी…" प्रेमानंद जी कहते हैं—परमात्मा हर कण में हैं। अनुभव चाहिए तो दृष्टि बदलो और भक्ति से जुड़ो। 

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क्या मंदिर और भंडारे का प्रसाद खाना सही है? जानें प्रेमानंद जी महाराज की चेतावनी