महाभारत में अर्जुन को सबसे बड़ा धनुर्धर माना जाता है, उनके पास कठिन युद्ध कौशल, अस्त्र-शास्त्र विद्या और संकल्प शक्ति थी।

आइये जानते हैं अर्जुन को क्यों कहा जाता है सबसे बड़ा धनुर्धर

अर्जुन ने अपने गुरु द्रौणाचार्य से शास्त्र विद्या सीखी, यहां तक कि अपने गुरु द्रौणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा को भी पीछे छोड़ दिया।

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एक बार गुरु द्रौणाचार्य ने अपने सभी शिष्यों को चिड़िया की आंख में निशाना भेदने को कहा, जब अर्जुन से पूछा गया कि उन्हें क्या दिख रहा है तब अर्जुन ने उत्तर दिया कि उन्हें सिर्फ लक्ष्य दिख रहा है।

अर्जुन को कै दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए जिनमें पाशुपतास्त्र (भगवान शिव से) , गांडीव धनुष (अग्निदेव से), वरुणास्त्र, ब्रह्मास्त्र और इंद्रास्त्र शामिल थे। ये अस्त्र केवल उन्हें प्राप्त होते थे जो श्रेष्ठ धनुर्धर होते थे।

अर्जुन को कै दिव्य अस्त्र प्राप्त हुए

महाभारत के युद्ध में अर्जुन ने अनेक महान योद्धाओं के वध किये जिनमें भीष्म पितामह, कर्ण, जयद्रत्त, भगदत्त जैसे योद्धा शामिल थे।

अर्जुन ने अपनी तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर पशुपतास्त्र प्राप्त किया, जो कि संपूर्ण युद्ध में सबसे विनाशकारी अस्त्र था।

अर्जुन ने महाभारत के युद्ध से पहले कई युद्ध में विजय प्राप्त की थी, जैसे द्रुपद से युद्ध, विराट नगर युद्ध, खांडव वन दहन आदि शामिल थे।

अर्जुन ने राजसूय यज्ञ के समय अनेक राजाओ को अकेले हराया ।

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