भारत के गुजरात राज्य में स्थित पवित्र शहर द्वारका अपनी धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए प्रसिद्ध है। इसी शहर के बाहरी क्षेत्र में स्थित है एक प्राचीन और पावन जलाशय, जिसे गोपी तालाब के नाम से जाना जाता है।

ह तालाब श्रीकृष्ण और उनकी गोपियों से जुड़ी पौराणिक कथाओं के कारण एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण स्थल माना जाता है।

गोपी तालाब से जुड़ी पौराणिक कथा गोपी तालाब का इतिहास पौराणिक कथाओं से गहरा जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण जब अपने बचपन के मित्रों और गोपियों को छोड़कर मथुरा से द्वारका चले गए, तो गोपियाँ उनके वियोग से दुखी हो गईं।

Fill in some text

भगवान श्रीकृष्ण के प्रति उनका प्रेम इतना गहरा था कि वे उन्हें देखने के लिए द्वारका तक आ पहुँचीं।

पौराणिक कथा के अनुसार, गोपियाँ इस स्थान पर आईं और श्रीकृष्ण के दर्शन के बाद प्रेम से अभिभूत होकर धरती में समा गईं।

कहा जाता है कि इसी कारण से इस स्थान का नाम गोपी तालाब पड़ा, और इसे भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों के प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

गोपी तालाब के पास की मिट्टी को 'गोपी चंदन' के नाम से जाना जाता है।

इसे पवित्र माना जाता है और इसका उपयोग भक्त तिलक के रूप में करते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि इस मिट्टी में गोपियों की आत्मा का स्पर्श है, जो श्रीकृष्ण के प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।

क्यों प्रिय हैं भगवान श्री कृष्ण को बासुरी जाने इसके पीछे की कहानी