भारत में होली के अलग-अलग रूप देखने को मिलते हैं, जिनमें वाराणसी की मसान होली अत्यधिक प्रसिद्ध है। 

मसान होली में शिव भक्त चिता की राख से होली खेलते हैं, जो जीवन और मृत्यु के चक्र का प्रतीक मानी जाती है।  

पूरे देश में इस दिन खास उमंग और उल्लास देखने को मिलता है। विभिन्न स्थानों पर होली मनाने की अनूठी परंपराएं हैं, जिनका अलग-अलग धार्मिक महत्व है। 

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मसान होली कैसे खेली जाती है?  मसान होली का पर्व मणिकर्णिका घाट पर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।  

इस दिन साधु-संत और शिव भक्त भगवान महादेव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और हवन का आयोजन किया जाता है। इसके बाद चिता की भस्म से होली खेली जाती है। 

इस पावन अवसर पर पूरा मणिकर्णिका घाट "हर-हर महादेव" के जयकारों से गूंज उठता है, जिससे एक अद्भुत और दिव्य माहौल बन जाता है। 

साधु और भक्त एक-दूसरे को चिता की भस्म लगाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। 

मसान होली कब मनाई जाएगी? इस वर्ष मसान होली 11 मार्च 2025 को मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान महादेव ने रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती का गौना कराकर उन्हें काशी लेकर आए थे।   

इस शुभ अवसर पर उन्होंने भक्तों के साथ गुलाल से होली खेली थी। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि भूत, प्रेत, जीव-जंतु इस उत्सव का हिस्सा नहीं बन सके। इसलिए, भगवान शिव ने रंगभरी एकादशी के अगले दिन मसान होली का आयोजन किया। तभी से चिता की भस्म से होली खेलने की परंपरा चली आ रही है, जिसे मसान होली के रूप में जाना जाता है। 

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