मन को वश में करने की पहली सीख प्रेमानंद जी महाराज कहते हैं कि अगर मन बार-बार भटकता है और संसार की ओर आकर्षित होता है, तो इसका मुख्य कारण है भजन की कमी। भजन ही मन को स्थिर करता है।

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पार्टियों और मित्रों के मोह से कैसे बचें? अगर आपको पार्टियों और दोस्तों की संगति ज्यादा अच्छी लगती है, तो यह संकेत है कि मन आध्यात्मिक रूप से खाली है। इसका समाधान है नियमित रूप से प्रभु नाम का जप।

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धर्म युक्त व्यवहार अपनाएं हर संबंध चाहे वह मां हो, बहन हो या पत्नी – सबके साथ मर्यादित और धर्मसंगत आचरण करना चाहिए। यही संतुलित जीवन का आधार है।

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संग का प्रभाव कैसे रोका जाए? किसी के संग का नकारात्मक प्रभाव तभी नहीं पड़ता जब मन प्रभु भक्ति में रत होता है। जब तक मन भजन नहीं करेगा, तब तक वो दूसरों से प्रभावित होता रहेगा।

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भजन से मिलेगा आत्मज्ञान प्रेमानंद जी बताते हैं कि भजन करने से ही ज्ञान प्राप्त होता है। जब ज्ञान मिलेगा, तब ही यह समझ आएगी कि सही क्या है और गलत क्या।

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पाप और भजन का संबंध जो लोग भजन से दूर रहते हैं, उनका स्वभाव पापमय होता है। ऐसे मन को भगवान के नाम में रस नहीं आता। इसलिए हर हाल में नाम स्मरण करते रहें।

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शरीर से पाप न होने दें हमारे कर्म ऐसे होने चाहिए जिससे किसी को कष्ट न हो। जब आचरण पवित्र होता है तभी भक्ति में रुचि आती है और मन शुद्ध होता है।

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भ्रम को पहचानें और छोड़ें भोजन, मित्रता, पार्टी जैसे आकर्षण केवल भ्रम हैं। इनसे दूर रहकर ही सच्चे आत्मज्ञान की ओर बढ़ा जा सकता है।

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गुरु दक्षिणा का रहस्य समझें और जीवन बदलें प्रेमानंद जी महाराज की यह सीख आपके जीवन को नई दिशा दे सकती है – सच्ची दक्षिणा भक्ति है, भौतिक वस्तु नहीं। 

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प्रेमानंद जी महाराज के 9 विचार जो बदल सकते हैं आपका जीवन