कृष्ण भक्त मीराबाई की मृत्यु आज भी एक रहस्य बनी हुई है।

उनके जीवन के अंत का कोई ठोस प्रमाण नहीं मिलता, और इसे लेकर विद्वानों के अलग-अलग मत हैं।

कुछ के अनुसार, मीराबाई का निधन वर्ष 1546 में हुआ, जबकि अन्य का मानना है कि यह 1548 में हुआ था।

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इसी तरह, उनकी मृत्यु का स्थान भी स्पष्ट नहीं है, हालांकि अधिकतर मत इसे द्वारका से जोड़ते हैं।

आइए, इस लेख के माध्यम से हम मीराबाई के पुनर्जन्म के बारे में जानते हैं

मान्यता है कि मीराबाई अपने पिछले जन्म में वृंदावन की एक गोपी थीं, जिनका नाम माधवी था।

कहा जाता है कि वे भगवान श्रीकृष्ण के एक गोप सखा की पत्नी थीं।

विवाह के बाद, उनकी सास ने उन्हें श्रीकृष्ण की ओर देखने तक से मना कर दिया था, क्योंकि उनकी सास भगवान के दिव्य स्वरूप से अनजान थीं।

माधवी को अपनी इस गलती का एहसास गोवर्धन लीला के दौरान हुआ, जब उन्होंने भगवान के भगवत स्वरूप को पहचाना। अपने पिछले जन्म की अधूरी भक्ति को पूर्ण करने के लिए ही उन्होंने इस जन्म में मीराबाई का रूप धारण किया।

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