क्या सच में भाग्य हमारे हाथ में है? जानिए प्रेमानंद जी महाराज के वे विचार जो जीवन की दिशा बदल सकते हैं और आत्मा को ईश्वर से जोड़ सकते हैं। 

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भाग्य तय नहीं, निर्माण करें प्रेमानंद जी कहते हैं कि मनुष्य का जन्म भाग्य भोगने के लिए नहीं, बल्कि नया भाग्य गढ़ने के लिए हुआ है। पशु भाग्य के अधीन होते हैं, पर मनुष्य को आदेश दिए जाते हैं।

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केवल मनुष्य को मिला है अवसर देवताओं और पशुओं को नया मार्ग नहीं मिलता, लेकिन मनुष्य शरीर को परमात्मा तक पहुँचने का अवसर प्राप्त है। यह पहचानना जरूरी है कि हमें करना क्या है।

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माया का जाल पहचानो यह संसार माया का जाल है जो हमें सत्य से दूर करता है। कोई साथ नहीं जाने वाला, फिर भी हम मोह-माया में फंसे हुए हैं।

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हरि नाम ही है सच्चा सहारा परिवार और संसार की जिम्मेदारियाँ अपनी जगह हैं, लेकिन हरि नाम ही सच्चा संबल है। भक्ति से बड़ा कोई कर्म नहीं।

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ईश्वर पर अटूट भरोसा रखें प्रेमानंद जी कहते हैं – हर परिस्थिति में भगवान पर विश्वास रखें। वे कभी आपका साथ नहीं छोड़ेंगे और न ही आपका विश्वास तोड़ेंगे।

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दिन बीत रहा है व्यर्थ में मनुष्य दिनभर काम करता है जैसे बैल, और रातें भोग और नींद में बीत जाती हैं। आत्मा की शांति के लिए यह जीवन नहीं है।

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जीवन का उद्देश्य भूल बैठे बचपन खेल में, जवानी अहंकार में और बुढ़ापा रोगों में बीत गया। भजन और साधना का समय तो कभी निकाला ही नहीं।

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आज ही से शुरू करें आत्मचिंतन अब भी समय है। पहचानिए कि आप क्यों जन्मे हैं। हरि नाम का स्मरण कीजिए और अपने जीवन को सार्थक बनाइए।

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क्या मंदिर और भंडारे का प्रसाद खाना सही है? जानें प्रेमानंद जी महाराज की चेतावनी