सनातन धर्म में द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। 

इस पावन तिथि पर भगवान गणेश की श्रद्धापूर्वक पूजा करने से सभी कार्यों में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-शांति का वास होता है।  

कब है द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी? हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 15 फरवरी 2025 को रात 11:52 बजे से होगा और यह 17 फरवरी 2025 को रात 02:15 बजे समाप्त होगी। इस आधार पर, 16 फरवरी 2025 को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी व्रत रखा जाएगा। 

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ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 05:16 बजे से 06:07 बजे तक विजय मुहूर्त: दोपहर 02:28 बजे से 03:12 बजे तक गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:10 बजे से 06:35 बजे तक अमृत काल: रात 09:48 बजे से 11:36 बजे तक 

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से संतान को लंबी उम्र और बेहतर स्वास्थ्य का आशीर्वाद मिलता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन से सभी संकट दूर होते हैं, और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से श्री गणेश घर में आ रहे हैं सभी विघ्न दूर करते हैं।

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सभी काम पूरे होते हैं

द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से आर्थिक परेशानी दूर होती है।

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