कर्म का महत्व: भगवद गीता में बताया गया है कि व्यक्ति को केवल अपने कर्म करने पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए।

निस्वार्थ सेवा: गीता में निस्वार्थ भाव से सेवा करने की शिक्षा दी गई है, जिससे व्यक्ति को आत्मिक शांति और संतोष प्राप्त होता है।

योग का महत्व: गीता में कर्म योग, ज्ञान योग और भक्ति योग के महत्व पर जोर दिया गया है, जो आत्मा की उन्नति के मार्ग हैं।

अहंकार त्याग: गीता सिखाती है कि अहंकार और स्वार्थ से मुक्त होकर अपने जीवन का उद्देश्य खोजना चाहिए।

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मृत्यु का सत्य: गीता में कहा गया है कि आत्मा अमर है और मृत्यु केवल शरीर का त्याग है, इसलिए मृत्यु से भयभीत नहीं होना चाहिए।

धर्म पालन: गीता में स्वधर्म का पालन करने पर जोर दिया गया है, यानी व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

मन की स्थिरता: गीता सिखाती है कि जीवन में हर परिस्थिति में मन की स्थिरता बनाए रखनी चाहिए, चाहे सुख हो या दुख।

ईश्वर में विश्वास: गीता में भगवान कृष्ण ने ईश्वर में अटूट विश्वास रखने की शिक्षा दी है, जो जीवन में मार्गदर्शन प्रदान करता है।

मोह का त्याग: गीता में मोह और बंधनों से मुक्त होकर जीवन जीने की बात कही गई है, जिससे व्यक्ति सच्ची शांति और मुक्ति प्राप्त कर सकता है।