चन्द्रसरोवर वह पवित्र स्थान है जहाँ भगवान श्री कृष्ण ने अपनी बाल लीलाओं का अद्भुत प्रदर्शन किया।

कथा के अनुसार, एक दिन श्री कृष्ण ने मैया यशोदा से चंद्रमा को पाने की जिद की। मां यशोदा ने चांदी की थाली में जल डालकर चंद्रमा की परछाई दिखाई।

श्री कृष्ण ने उस थाली को खींचकर भूमि पर पटक दिया, और उसी स्थान पर चन्द्रसरोवर का प्राकट्य हुआ।

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यहीं पर भगवान ने 33 करोड़ गोपियों के साथ दिव्य महारास किया। इस अद्भुत घटना को देखने के लिए स्वर्गीय चंद्रमा नहीं, बल्कि गोलोक धाम के कोटकी नाम के चंद्रमा पधारे।

यह महारास गोपनीय था, जिसे देखने की अनुमति किसी को नहीं थी।

लेकिन महादेव अपने आप को रोक नहीं सके।

यमुना तट पर स्नान कर उन्होंने गोपी का रूप धारण कर महारास में प्रवेश किया।

श्री कृष्ण ने उन्हें तुरंत पहचान लिया और कहा, "यह गोपी नहीं, गोपा हैं।"

तभी से इस स्थान पर गोपेश्वर महादेव का पूजन प्रारंभ हुआ। गोपेश्वर महादेव मंदिर में शिवजी का स्वरूप गोपी रूप में होता है, जहाँ वे 16 श्रृंगार धारण करते हैं।

Bhagavad Gita:यह श्लोक हम सिखाता है जीवन की शुभ-अशुभ परिस्थितियों में संयम कैसे बनाये