हनुमान जी वानर रूप में अत्यंत शक्तिशाली और पराक्रमी हैं, लेकिन एक बार उन्होंने अपने वानर स्वरूप से भी अधिक बलशाली और भयंकर शेर का रूप धारण किया था। यह जानना रोचक है कि उन्होंने ऐसा कब और किस उद्देश्य से किया।

एक मान्यता के अनुसार, हनुमान जी ने शेर का रूप भगवान नरसिंह की शक्ति और आराधना को दर्शाने के लिए धारण किया था।

पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को भगवान विष्णु और उनके सभी अवतारों के प्रति गहरी भक्ति के लिए जाना जाता है।

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ऐसा माना जाता है कि नरसिंह अवतार ने हनुमान जी को विशेष प्रेरणा और शक्ति प्रदान की।

अपने सेवक और रक्षक स्वभाव के चलते, हनुमान जी ने एक बार भगवान नरसिंह से प्रेरित होकर शेर का रूप अपनाया।

दक्षिण भारत के कुछ मंदिरों में हनुमान जी को नरसिंह हनुमान के रूप में पूजा जाता है, जहां वे शेर के मुख और मानव शरीर वाले स्वरूप में प्रतिष्ठित हैं।

यह स्वरूप उनकी असाधारण शक्ति और भगवान विष्णु के प्रति उनकी गहन भक्ति का प्रतीक है।

मुगल बादशाह औरंगजेब को गोविंद देव जी के मंदिर की प्रतिष्ठा और भव्यता पसंद नहीं आई, जिसके चलते उसने मंदिर की चार मंजिलें तुड़वा दीं। कहते हैं कि जब ब्रजवासियों ने मंदिर की रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना की, तो हनुमान जी सिंह रूप में प्रकट हुए।

सिंह रूप में हनुमान जी ने औरंगजेब को चेतावनी दी कि यदि वह यहां से नहीं गया, तो उसकी सात पीढ़ियों का नाश हो जाएगा। इस चेतावनी से डरकर औरंगजेब ने अपनी योजना रोक दी। आज भी, उस स्थान पर सिंह रूप में हनुमान जी का मंदिर स्थित है, जहां भक्त दर्शन करने आते हैं।

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