महाभारत का युद्ध: कुरुक्षेत्र के युद्ध में अर्जुन को अपने कर्तव्यों और अपनों के प्रति मोह के कारण दुविधा का सामना करना पड़ा।
परिवार के खिलाफ युद्ध: अर्जुन की सबसे बड़ी दुविधा थी कि उसे अपने परिवार, गुरुओं और मित्रों के खिलाफ युद्ध करना था, जिससे वह मानसिक रूप से विचलित हो गया।
धर्म संकट: अर्जुन अपने कर्तव्य (धर्म) और रिश्तों के बीच फंसा हुआ था, जिससे उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह सही कर रहा है या गलत।
कृष्ण का मार्गदर्शन: अर्जुन की दुविधा को दूर करने के लिए भगवान कृष्ण ने गीता के माध्यम से उसे धर्म, कर्तव्य और जीवन की सच्चाई समझाई।
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कर्म का सिद्धांत: कृष्ण ने अर्जुन को कर्म का सिद्धांत सिखाया कि मनुष्य को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए, चाहे परिणाम कुछ भी हो।
अहंकार का त्याग: कृष्ण ने अर्जुन को अहंकार और मोह से मुक्त होकर निष्काम भाव से अपने कर्तव्यों का पालन करने की शिक्षा दी।
आत्मा का अमरत्व: कृष्ण ने अर्जुन को आत्मा की अमरता का ज्ञान दिया, जिससे अर्जुन मृत्यु के भय से मुक्त हो गया।
सत्य और न्याय का पक्ष: कृष्ण ने अर्जुन को समझाया कि इस युद्ध में सत्य और न्याय का पक्ष लेना ही उसका कर्तव्य है।
अर्जुन की आत्मशक्ति: कृष्ण के मार्गदर्शन के बाद अर्जुन ने अपनी दुविधा को दूर कर अपने कर्तव्यों का पालन करने का संकल्प लिया।