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Varaha Jayanti 2024 :वराह जयंती 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

वराह जयंती हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है, जो भगवान विष्णु के वराह अवतार की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के इस विलक्षण स्वरूप की पूजा-अर्चना करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत रखते हैं.

Varah Jayanti 2024

वराह जयंती कब है? (Varaha Jayanti 2024 Date)

वराह जयंती प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष 2024 में वराह जयंती शुक्रवार, 6 सितंबर को पड़ेगी।

वराह जयंती का महत्व (Varaha Jayanti Significance)

वराह जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइये जानते हैं इसके प्रमुख कारणों को:

  • धरती का उद्धार (Salvation of the Earth): पौराणिक कथाओं के अनुसार, हिरण्याक्ष नामक राक्षस ने कठोर तपस्या कर देवताओं को पराजित कर दिया और पृथ्वी को पाताल लोक में ले जाकर समुद्र में डुबो दिया। पृथ्वी और देवताओं की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने वराह रूप धारण किया। वराह रूप में भगवान विष्णु ने हिरण्याक्ष का वध किया और अपनी सूंड से धरती को समुद्र के बाहर निकाला। इसलिए, वराह जयंती धरती के उद्धार का प्रतीक है।
  • अधर्म पर धर्म की विजय (Victory of Dharma over Adharma): वराह जयंती अधर्म पर धर्म की विजय का प्रतीक है। हिरण्याक्ष के अत्याचारों से धरती त्राहित थी। भगवान विष्णु के वराह अवतार ने हिरण्याक्ष का वध कर धर्म की पुनर्स्थापना की। यह हमें सिखाता है कि चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों न आएं, अंत में हमेशा सत्य और धर्म की जीत होती है।
  • समृद्धि और कल्याण (Prosperity and Well-being): वराह जयंती को समृद्धि और कल्याण का प्रतीक भी माना जाता है। वराह रूप में भगवान विष्णु ने पृथ्वी को बचाकर संसार में सृष्टि का मार्ग प्रशस्त किया। इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
  • भक्ति और आस्था का पर्व (Festival of Devotion and Faith): वराह जयंती भक्ति और आस्था का पर्व है। इस दिन भक्त भगवान विष्णु के वराह अवतार की पूजा-अर्चना कर उनकी कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। व्रत रखकर और भक्तिभाव से उनकी कथा सुनकर आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

वराह जयंती की पूजा विधि (Varaha Jayanti Puja Vidhi)

वराह जयंती के पावन अवसर पर भक्त विधि-विधान से भगवान विष्णु के वराह स्वरूप की पूजा करते हैं। आइए जानें इसकी विधि:

  • व्रत रखना (Observing Vrat): कई भक्त वराह जयंती के एक या दो दिन पहले से ही व्रत रखना शुरू कर देते हैं। व्रत के दौरान सात्विक भोजन ग्रहण किया जाता है और मन को पवित्र रखा जाता है।
  • स्नान और पूजा (Bathing and Puja): व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद पूजा स्थान को शुद्ध कर वहां भगवान विष्णु के वराह अवतार की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
  • आसन और संकल्प (Asana and Sankalp): पूजा के लिए आसन ग्रहण करें और भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत और पूजा का संकल्प लें।
  • षोडशोपचार पूजन (Shodashopachara Puja): इसके बाद भगवान विष्णु का विधिवत षोडशोपचार पूजन करें। इसमें उन्हें स्नान कराना, वस्त्र एवं आभूषण अर्पित करना, चंदन का तिलक लगाना, पुष्प अर्पित करना, धूप और दीप दिखाना, भोग लगाना, और अंत में आरती करना शामिल है। भगवान विष्णु के वराह अवतार का ध्यान करते हुए पूजा मंत्रों का जाप करें।
  • वराह जयंती की कथा (Varaha Jayanti Katha): पूजा के बाद वराह जयंती की कथा का पाठ करें या सुनें। कथा सुनने से भगवान विष्णु के वराह अवतार के महत्व और उनके कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त होती है।
  • व्रत का पारण (Parayan of Vrat): पूजा और कथा के बाद शाम के समय फलाहार ग्रहण कर व्रत का पारण करें। आप अपनी इच्छानुसार दक्षिणा देकर पूजा का समापन कर सकते हैं।

वराह जयंती के लिए अतिरिक्त अनुष्ठान (Additional Rituals for Varaha Jayanti)

वराह जयंती के मुख्य अनुष्ठानों के अलावा, आप कुछ अतिरिक्त अनुष्ठान भी कर सकते हैं, जो इस प्रकार हैं:

  • हवन (Havan): आप चाहें तो वराह जयंती के दिन हवन कर सकते हैं। हवन में शुद्ध घी, आहुतियां और मंत्रों का जाप शामिल होता है। हवन से वातावरण शुद्ध होता है और भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • दान (Charity): वराह जयंती के दिन दान का विशेष महत्व है। आप गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या धन का दान कर सकते हैं। दान करने से पुण्य प्राप्त होता है और भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है।
  • जप और ध्यान (Japa and Meditation): वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के “ॐ विष्णवे नमः” या “ॐ वराह नमः” मंत्र का जप कर सकते हैं। साथ ही ध्यान के माध्यम से भगवान विष्णु के वराह अवतार का ध्यान करें। इससे मन को शांति मिलती है और आत्मिक उन्नति होती है।

वराह जयंती के प्रमुख मंदिर (Prominent Temples of Varaha Jayanti)

वराह जयंती के अवसर पर कई मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है। आप इन मंदिरों में जाकर भगवान विष्णु के वराह अवतार का दर्शन कर सकते हैं। भारत में कुछ प्रमुख वराह मंदिर इस प्रकार हैं:

  • वराह मंदिर, तिरुमला (Varaha Temple, Tirumala): आंध्र प्रदेश में स्थित तिरुमला का वराह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित एक प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर में वराह जयंती के दिन विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।
  • वराह मंदिर, हाजीपुर (Varaha Temple, Hajipur): बिहार में स्थित हाजीपुर का वराह मंदिर भी भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित एक महत्वपूर्ण मंदिर है। इस मंदिर में वराह जयंती के दिन हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं।
  • वराह मंदिर, पुष्कर (Varaha Temple, Pushkar): राजस्थान के पुष्कर में स्थित वराह मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के वराह अवतार की एक विशाल प्रतिमा स्थापित है। वराह जयंती के दिन यहां विशेष उत्सव का आयोजन किया जाता है।

वराह जयंती से जुड़ी कुछ रोचक बातें (Interesting Facts about Varaha Jayanti)

वराह जयंती से जुड़ी कुछ रोचक बातें इस प्रकार हैं:

  • वराह जयंती को कहीं-कहीं वराह जंयती या वराह अवतार उत्सव के नाम से भी जाना जाता है।
  • दक्षिण भारत में वराह जयंती को अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। यहां केरल में इस दिन “श्री वराह महापूजा” का आयोजन किया जाता है।
  • कुछ मंदिरों में वराह जयंती के दिन भगवान विष्णु के वराह अवतार की शोभायात्रा निकाली जाती है।
  • वराह जयंती के दिन तुलसी पूजा का भी विशेष महत्व है। भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है, इसलिए इस दिन तुलसी के पत्तों से भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है।

उपसंहार

वराह जयंती भगवान विष्णु के वराह अवतार की महिमा का उत्सव है। यह दिन हमें सिखाता है कि कठिन परिस्थितियों में भी हमें आशा नहीं खोनी चाहिए। भगवान विष्णु अपने भक्तों की रक्षा के लिए हमेशा उपस्थित रहते हैं। वराह जयंती हमें धर्म के मार्ग पर चलने और सत्य की रक्षा करने की प्रेरणा देती है।

इस दिन किए गए अनुष्ठान और पूजा से हमें भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। वराह जयंती को मनाने के विभिन्न तरीके हैं, आप अपनी श्रद्धा और सुविधा के अनुसार इसे मना सकते हैं। आप चाहें तो घर पर ही पूजा कर सकते हैं या किसी मंदिर में जाकर दर्शन कर सकते हैं।

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