माँ त्रिपुर भैरवी, देवी दुर्गा के दस महाविद्याओं में से एक हैं। उन्हें त्रिपुरा सुंदरी, त्रिपुर भवानी, राज राजेश्वरी और अम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। वे शक्ति और पराक्रम की प्रतीक हैं और भक्तों की रक्षा करने वाली तथा मनोकामना पूर्ण करने वाली देवी के रूप में पूजित हैं। त्रिपुर भैरवी की उपासना और साधना अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है। यह साधना सामान्यतः अनुभवी साधकों द्वारा की जाती है। माँ की कृपा से साधक अलौकिक शक्तियों और सिद्धियों को प्राप्त कर सकते हैं।
त्रिपुर भैरवी जयंती तिथि 2024
त्रिपुर भैरवी जयंती हर साल पौष मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। इस वर्ष, 2024 में यह पावन पर्व 15 दिसंबर, रविवार को मनाया जाएगा।
त्रिपुर भैरवी जयंती का महत्व
त्रिपुर भैरवी जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन माँ त्रिपुर भैरवी की पूजा करने से भक्तों को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं:
- रक्षा और सुरक्षा: माँ त्रिपुर भैरवी भक्तों को शत्रुओं से बचाती हैं और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती हैं।
- मनोकामना पूर्ति: वे भक्तों की मनोकामनाओं को सुनती हैं और उन्हें पूर्ण करने की शक्ति रखती हैं।
- सुख-समृद्धि: माँ की कृपा से भक्तों को सुख, समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति होती है।
- मोक्ष की प्राप्ति: नियमित पूजा और ध्यान से भक्तों को मोक्ष का मार्ग प्रशस्त होता है।
- ग्रह दोष निवारण: त्रिपुर भैरवी की पूजा से ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
- रोग निवारण: माँ की कृपा से भक्तों को विभिन्न रोगों से मुक्ति मिलती है।
त्रिपुर भैरवी जयंती की पूजा विधि
त्रिपुर भैरवी जयंती पर विधि-विधान से माँ की पूजा करने का विशेष महत्व है। पूजा की प्रक्रिया इस प्रकार है:
- शुद्धिकरण: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ-सुथरा करके गंगाजल से शुद्ध करें।
- स्थापना: एक चौकी पर माँ त्रिपुर भैरवी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। चौकी को शुद्ध कपड़े से ढकें।
- आवरण: माँ को शुद्ध वस्त्र चढ़ाएं। लाल रंग के वस्त्र माँ को प्रिय हैं।
- पूजन सामग्री: फूल, फल, मिठाई, धूप, दीप, नैवेद्य आदि पूजन सामग्री अर्पित करें।
- आरती और मंत्र जाप: माँ की आरती गाएं और उनके मंत्रों का जाप करें।
- प्रार्थना: मन की भावनाओं के साथ माँ से अपनी मनोकामनाएं प्रकट करें।
पूजा के दौरान सावधानियां
- पूजा के दौरान मन को शांत और एकाग्र रखें।
- माँ के प्रति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास रखें।
- लाल रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करने का महत्व है।
- भोजन में मांस, मदिरा, लहसुन-प्याज का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
त्रिपुर भैरवी के अन्य नाम और स्वरूप
माँ त्रिपुर भैरवी के कई अन्य नाम और स्वरूप हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:
- त्रिपुरा सुंदरी: सुंदरता और आकर्षण की देवी
- त्रिपुर भवानी: संहारिणी शक्ति के रूप में
- राज राजेश्वरी: शासक देवी
- अम्बिका: मातृत्व के प्रतीक
त्रिपुर भैरवी जयंती पर विशेष आयोजन
भारत के विभिन्न हिस्सों में त्रिपुर भैरवी जयंती पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। कई मंदिरों में हवन, यज्ञ, भजन-कीर्तन आदि का आयोजन होता है। भक्तजन सामूहिक रूप से माँ की पूजा करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं।
त्रिपुर भैरवी के मंत्र
त्रिपुर भैरवी के कई शक्तिशाली मंत्र हैं, जिनका जाप साधक विशेष विधि से करते हैं। इन मंत्रों का उच्चारण और ध्यान एकाग्रता के साथ करना आवश्यक है। कुछ प्रमुख मंत्र निम्नलिखित हैं:
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं त्रिपुरा सुन्दरी नमः
- ॐ त्रिपुर भैरवी नमः
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै नमः
त्रिपुर भैरवी यंत्र
त्रिपुर भैरवी यंत्र भी साधना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस यंत्र की स्थापना और पूजन विशेष विधि से किया जाता है। यंत्र की उपासना से साधक माँ की कृपा को आकर्षित कर सकते हैं।
त्रिपुर भैरवी की तंत्र साधना
त्रिपुर भैरवी की तंत्र साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। यह साधना उच्च स्तर की आध्यात्मिक शक्ति और अनुभव की आवश्यकता होती है। तंत्र साधना में विशेष मंत्र, यंत्र, पूजा विधि और आहुति आदि का प्रयोग किया जाता है।
उपसंहार
त्रिपुर भैरवी जयंती, शक्ति और पराक्रम की देवी माँ त्रिपुर भैरवी की आराधना का पावन अवसर है। इस दिन भक्तजन माँ की कृपा प्राप्त करने के लिए पूजा-अर्चना करते हैं। माँ त्रिपुर भैरवी की कृपा से भक्तों के जीवन में सुख, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति होती है।