Surya Dev Ki Aarti|सूर्य देव की आरती- ऊँ जय कश्यप नन्दन…

हिंदू धर्म में सूर्य देव को प्रत्यक्ष देवता माना गया है, जो प्रत्यक्ष रूप में मानव को दर्शन देने वाले इकलौते देव हैं। सूर्य न केवल जीवनदाता हैं, बल्कि वे स्वास्थ्य, ऊर्जा, तेज, ज्ञान, सफलता और मान-सम्मान के प्रतीक माने जाते हैं। प्राचीन काल से ही भारतवर्ष में सूर्य उपासना की परंपरा रही है। सूर्य नमस्कार, अर्घ्य दान, सूर्य स्तुति और आरती करना सनातन धर्म का अभिन्न हिस्सा है। विशेष रूप से सूर्य देव की आरती करना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है।

सूर्य देव
Surya Dev Ki Aarti

सूर्य देव की आरती

ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥ 

सप्त अश्वरथ राजित, एक चक्रधारी।

दु:खहारी, सुखकारी, मानस मलहारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

सुर मुनि भूसुर वन्दित, विमल विभवशाली।

अघ-दल-दलन दिवाकर, दिव्य किरण माली॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

सकल सुकर्म प्रसविता, सविता शुभकारी।

विश्व विलोचन मोचन, भव-बंधन भारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

कमल समूह विकासक, नाशक त्रय तापा।

सेवत सहज हरत अति, मनसिज संतापा॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

नेत्र व्याधि हर सुरवर, भू-पीड़ा हारी।

वृष्टि विमोचन संतत, परहित व्रतधारी॥

॥ ऊँ जय कश्यप…॥

सूर्यदेव करुणाकर, अब करुणा कीजै।

हर अज्ञान मोह सब, तत्वज्ञान दीजै॥

ऊँ जय कश्यप नन्दन, प्रभु जय अदिति नन्दन।

त्रिभुवन तिमिर निकंदन, भक्त हृदय चन्दन॥

सूर्य देव की आरती क्यों की जाती है?

आरती, किसी भी देवता की पूजा का वह चरण होता है जिसमें दीप या घी का दिया जलाकर उनकी महिमा का स्तुति गीत गाया जाता है। जब हम सूर्य देव की आरती करते हैं, तो यह उनके प्रति हमारी श्रद्धा, कृतज्ञता और आभार का प्रतीक होता है। सूर्य को जीवन, प्रकाश और उर्जा का स्रोत माना गया है। अतः उनकी आरती करना एक प्रकार से उस दिव्य शक्ति का आह्वान करना होता है जो हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा देती है।

सूर्य देव की आरती प्रातः काल सूर्योदय के समय करना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। कुछ लोग शाम को सूर्यास्त के समय भी आरती करते हैं। मान्यता है कि इस समय की गई आरती विशेष फलदायी होती है और संपूर्ण दिन की नकारात्मक ऊर्जा को शांत करती है।

सूर्य देव की आरती करने के लाभ

  1. स्वास्थ्य में सुधार:
    सूर्य देव को आयु, बल और स्वास्थ्य का कारक माना गया है। नियमित रूप से सूर्य को अर्घ्य देने और आरती करने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  2. मानसिक शांति और सकारात्मकता:
    सूर्य की आरती से मानसिक तनाव दूर होता है और मन में स्थिरता आती है। यह साधना आत्मविश्वास और साहस को भी बढ़ाती है।
  3. पितृ दोष और ग्रह दोष से मुक्ति:
    सूर्य ग्रह से जुड़ी आरती करने से कुंडली के सूर्य संबंधित दोष शांत होते हैं और पितृ दोष भी दूर होता है।
  4. सफलता और उन्नति:
    सूर्य को राजसत्ता और नेतृत्व का कारक माना जाता है। उनकी कृपा से नौकरी, व्यापार और समाज में सम्मान और सफलता प्राप्त होती है।
  5. आध्यात्मिक लाभ:
    सूर्य की आरती आत्मा को शुद्ध करती है और साधक को आध्यात्मिक रूप से बल प्रदान करती है। यह साधना ईश्वर से जुड़ाव को गहरा बनाती है।

सूर्य देव की आरती न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह वैज्ञानिक रूप से भी ऊर्जा और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी मानी जाती है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय शुद्ध मन और श्रद्धा से आरती करने से जीवन में न केवल सफलता प्राप्त होती है, बल्कि आत्मिक बल, तेज और आभा में भी वृद्धि होती है। यह एक ऐसी साधना है जो तन, मन और आत्मा तीनों को सशक्त बनाती है।

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