हिंदू धर्म में अनेक व्रत और त्योहार मनाए जाते हैं जिनका हमारे जीवन में विशेष महत्व है। इनमें से एक महत्वपूर्ण तिथि है सोमवती अमावस्या। जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, यह अमावस्या के दिन पड़ने वाला सोमवार होता है, जो विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना के लिए समर्पित होता है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों और पूजा-पाठ से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए, इस लेख में हम सोमवती अमावस्या 2024 की तिथि, पूजा विधि, महत्व और शुभ मुहूर्तों के बारे में विस्तार से जानें।
सोमवती अमावस्या 2024: तिथि और शुभ मुहूर्त (Somvati Amavasya 2024 Date)
वर्ष 2024 में सोमवती अमावस्या का पर्व 2 सितंबर को पड़ रहा है। यह तिथि सुबह 11:16 बजे से प्रारंभ होकर अगले दिन यानी 3 सितंबर को सुबह 8:42 बजे तक मान्य रहेगी। इस पवित्र दिन पर किए जाने वाले कार्यों के लिए कुछ विशेष शुभ मुहूर्त भी होते हैं, जिनका उल्लेख नीचे किया गया है:
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 4:12 बजे से 4:58 बजे तक
- अभिजित मुहूर्त: सुबह 11:16 बजे से 12:02 बजे तक
- लाभ मुहूर्त: दोपहर 1:30 बजे से 2:16 बजे तक
- अमृत काल: शाम 6:14 बजे से 7:00 बजे तक
इन शुभ मुहूर्तों में पूजा-पाठ करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
सोमवती अमावस्या का धार्मिक महत्व (Somvati Amavasya Importance)
सोमवती अमावस्या का हिंदू धर्म में अत्यंत महत्व है। इस दिन किए गए अनुष्ठानों और पूजा-पाठ से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं, जिनका वर्णन निम्न प्रकार से है:
- पापों का नाश: सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने से व्यक्ति के सभी पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
- पितृ ऋण से मुक्ति: हिंदू धर्म में पितरों का श्राद्ध करना अपना कर्तव्य माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करने से पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करने से उनकी कृपा प्राप्त होती है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- ग्रह दोषों का निवारण: ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशा का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। सोमवती अमावस्या के दिन किए गए दान और पुण्य कर्मों से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
- अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति: सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से व्यक्ति को अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है और रोगों से मुक्ति मिलती है।
सोमवती अमावस्या की विधि-विधानपूर्वक पूजा (Somvati Amavasya Puja Vidhi)
सोमवती अमावस्या के पवित्र दिन पर विधि-विधान से पूजा करने से अपार पुण्य की प्राप्ति होती है। आइए, जानते हैं सोमवती अमावस्या की पूजा विधि के बारे में:
स्नान और संकल्प: इस पवित्र दिन की शुरुआत सोमवती अमावस्या के प्रारंभ होने से पहले ही कर लेनी चाहिए। सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और आसन बिछाकर उस पर बैठ जाएं। अब हाथ जोड़कर भगवान शिव और माता पार्वती का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें। संकल्प लेते समय इस बात का ध्यान रखें कि आप पूरे दिन व्रत का पालन करेंगे और विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करेंगे।
पूजा की सामग्री: सोमवती अमावस्या की पूजा के लिए कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। इन सामग्रियों को एक थाल में सजाकर रख लें। पूजा की सामग्री में शामिल हैं – भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर का मिश्रण), बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, भांग, इत्र, दीपक, अगरबत्ती, गंगाजल, फल, मिठाई, जनेऊ (यदि आप धारण करते हैं), साफ कपड़ा और दक्षिणा के लिए कुछ दक्षिणा।
आसन और मंडप निर्माण: पूजा करने के लिए पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके आसन बिछाएं। इसके बाद एक चौकी या आसन पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। इसके पश्चात मंडप का निर्माण करें। आम के पत्तों से अथवा अन्य शुभ माने जाने वाले पत्तों से चार खंभे बनाकर उनके ऊपर कलावा बांधें और फिर इन खंभों पर साफ कपड़ा बिछाकर मंडप तैयार कर लें।
षोडशोपचार पूजा: मंडप तैयार करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती का आवाहन करें और उन्हें पुष्प, अक्षत, गंध आदि अर्पित करें। इसके बाद पंचामृत से उनका अभिषेक करें। अभिषेक के बाद बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल और भांग चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव को इत्र और माता पार्वती को सिंदूर अर्पित करें। अब दीप प्रज्वलित करें और अगरबत्ती जलाएं। भगवान शिव और माता पार्वती को फल, मिठाई और जल का भोग लगाएं। अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें और दक्षिणा अर्पित करें।
सोमवती अमावस्या व्रत कथा: पूजा के उपरांत सोमवती अमावस्या व्रत कथा का पाठ करना शुभ माना जाता है। इस कथा के पाठ से व्रत का फल प्राप्त होता है और मन को शांति मिलती है।
श्रद्धा-भक्ति और दान: सोमवती अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध करना न भूलें। विधिपूर्वक श्राद्ध करने से पितरों को तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। साथ ही इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान अवश्य करें। दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।
सोमवती अमावस्या के दिन करने योग्य अन्य कार्य
सोमवती अमावस्या के दिन पूजा-पाठ करने के अतिरिक्त कुछ अन्य कार्य भी किए जा सकते हैं, जिनसे शुभ फल प्राप्त होते हैं। ये कार्य निम्न प्रकार से हैं:
- व्रत का पालन: सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखना बहुत ही शुभ माना जाता है। इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूरे दिन सात्विक भोजन का सेवन करें। रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करें।
- मंत्र जप: सोमवती अमावस्या के पवित्र दिन पर भगवान शिव के प्रमुख मंत्र “ॐ नमः शिवाय” या “ॐ पार्वत्यै नमः” का जप करना अत्यंत फलदायी होता है। इन मंत्रों का जप करने से मन को शांति मिलती है और भगवान शिव एवं माता पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।
- पीपल पूजा: पीपल का पेड़ हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। सोमवती अमावस्या के दिन सुबह स्नान करने के बाद पीपल के पेड़ की पूजा करना शुभ होता है। पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं, दीप जलाएं और उसकी जड़ में दूध अर्पित करें। पीपल की पूजा करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- नदी स्नान: यदि संभव हो तो सोमवती अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी में स्नान अवश्य करें। माना जाता है कि पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं और मन को शांति मिलती है। गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है।
- शिवलिंग दर्शन: सोमवती अमावस्या के दिन किसी शिव मंदिर में जाकर शिवलिंग का दर्शन और पूजन करना बहुत ही शुभ होता है। शिवलिंग पर जल और दूध चढ़ाएं, बेलपत्र अर्पित करें और भगवान शिव का ध्यान करें। शिव मंदिर में जाकर “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
- संयमित आहार: सोमवती अमावस्या के दिन सात्विक भोजन का सेवन करना चाहिए। इस दिन मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन करने से मन और शरीर दोनों शुद्ध होते हैं।
- ब्रह्मचर्य का पालन: सोमवती अमावस्या के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस दिन काम क्रोध से दूर रहना चाहिए और सकारात्मक विचारों को अपनाना चाहिए।
उपसंहार
सोमवती अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधिपूर्वक पूजा करने से अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने, पूजा-पाठ करने, दान करने और अन्य शुभ कार्यों को करने से व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। आशा है कि इस लेख में दी गई जानकारी आपको सोमवती अमावस्या 2024 को मनाने में सहायक होगी।
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