Som Pradosh Vrat Katha : सोम प्रदोष व्रत का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह व्रत तब होता है जब प्रदोष तिथि सोमवार के दिन पड़ती है। चूंकि सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित माना जाता है, इसलिए सोम प्रदोष व्रत का महत्व और भी बढ़ जाता है। यह व्रत विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से इस व्रत को करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके जीवन के सभी कष्ट समाप्त हो जाते हैं।

इस व्रत को करने का मुख्य उद्देश्य भगवान शिव की उपासना कर जीवन में सुख, शांति, स्वास्थ्य और समृद्धि प्राप्त करना होता है। साथ ही, यह व्रत व्यक्ति को बुरी आदतों से दूर करता है और उसे आत्मिक शुद्धता प्रदान करता है। ऐसा माना जाता है कि सोम प्रदोष व्रत करने से पापों का नाश होता है और जन्म-जन्मांतर के बंधनों से मुक्ति मिलती है। यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए शुभ होता है जो मानसिक शांति, संतान सुख या आर्थिक उन्नति की कामना करते हैं।
सोम प्रदोष व्रत के लाभ (Som Pradosh Vrat Labh)
सोम प्रदोष व्रत करने से कई प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। इससे व्यक्ति को दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य का वरदान मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से परिवार में सौहार्द और सुख-शांति बनी रहती है। जो लोग किसी गंभीर रोग से पीड़ित होते हैं, उनके लिए यह व्रत विशेष फलदायी माना गया है। साथ ही, यह व्रत दाम्पत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य को भी बढ़ाता है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व (Som Pradosh Vrat Mahatva)
सोम प्रदोष व्रत का महत्व पुराणों और शास्त्रों में विस्तार से बताया गया है। यह व्रत जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने वाला और मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने वाला माना जाता है। जो भक्त श्रद्धा और नियमों के साथ इस व्रत को करता है, भगवान शिव उसकी सभी प्रार्थनाएं स्वीकार करते हैं और उसे अपने आशीर्वाद से कृतार्थ करते हैं। सोम प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और वह आध्यात्मिक रूप से प्रगति करता है।
सोम प्रदोष व्रत कथा (Som Pradosh Vrat Katha)
प्रदोष व्रत का विशेष महत्व तब और बढ़ जाता है जब यह सोमवार के दिन पड़ता है। इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है और इस दिन भगवान शिव की उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। प्राचीन समय की बात है, एक नगर में एक निर्धन ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का निधन हो चुका था और उसके पास अपने और अपने पुत्र के पालन-पोषण का कोई साधन नहीं था। वह रोज सुबह अपने पुत्र के साथ भिक्षा मांगने निकलती और उसी से अपने जीवन का निर्वाह करती थी।
एक दिन संध्या समय लौटते हुए उसने मार्ग में एक घायल बालक को देखा, जो पीड़ा में कराह रहा था। करुणावश वह उसे अपने घर ले आई। वह बालक विदर्भ का राजकुमार था, जिसके पिता को शत्रुओं ने बंदी बना लिया था और राज्य पर अधिकार कर लिया था। असहाय राजकुमार इधर-उधर भटक रहा था।
कुछ समय बाद एक दिन गंधर्वकन्या अंशुमति ने राजकुमार को देखा और वह उससे प्रेम करने लगी। उसने अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलवाया। भगवान शिव ने उनके माता-पिता को स्वप्न में राजकुमार और अंशुमति के विवाह का संकेत दिया। विवाह संपन्न हुआ।
ब्राह्मणी प्रतिदिन श्रद्धा से प्रदोष व्रत करती थी। उसके व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने अपने राज्य को शत्रुओं से मुक्त कराया और पिता का राज्य पुनः प्राप्त कर लिया। उसने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। इस प्रकार प्रदोष व्रत के पुण्य से उनके जीवन में सुख-समृद्धि लौटी। शिव कृपा से सभी भक्तों के कष्ट दूर होते हैं।
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FAQs
सोम प्रदोष व्रत कब रखा जाता है?
सोम प्रदोष व्रत उस दिन रखा जाता है जब प्रदोष तिथि सोमवार के दिन पड़ती है। यह तिथि हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आती है। सोम प्रदोष व्रत विशेष रूप से भगवान शिव की आराधना के लिए शुभ माना जाता है।
सोम प्रदोष व्रत का महत्व क्या है?
सोम प्रदोष व्रत का महत्व अत्यधिक माना गया है क्योंकि यह भगवान शिव को समर्पित होता है। इस व्रत को करने से व्यक्ति के जीवन के कष्ट दूर होते हैं, पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। यह व्रत सुख-शांति, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करता है।
सोम प्रदोष व्रत कैसे किया जाता है?
सोम प्रदोष व्रत में दिनभर उपवास रखा जाता है। प्रदोष काल (सांझ के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले और बाद तक) में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा और फूल चढ़ाए जाते हैं और महामृत्युंजय मंत्र या “ॐ नमः शिवाय” का जप किया जाता है।
सोम प्रदोष व्रत में क्या खाना चाहिए?
व्रत करने वाले लोग फलाहार करते हैं। फल, दूध, सूखे मेवे और व्रत के लिए बने विशेष आहार जैसे साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, आलू आदि का सेवन कर सकते हैं। इस दिन अनाज और तामसिक भोजन का त्याग किया जाता है।
सोम प्रदोष व्रत करने से क्या लाभ मिलते हैं?
सोम प्रदोष व्रत करने से दीर्घायु, उत्तम स्वास्थ्य, संतान सुख, आर्थिक समृद्धि और पारिवारिक सुख-शांति प्राप्त होती है। साथ ही यह व्रत बुरी आदतों से छुटकारा दिलाकर व्यक्ति को अध्यात्म की ओर अग्रसर करता है।