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Shri Yugalkishor Ki Aarti Lyrics: युगलकिशोर की आरती- आरती युगलकिशोर की कीजै…

युगलकिशोर, जिन्हें राधा-कृष्ण के दिव्य युगल के रूप में पूजा जाता है, हिंदू धर्म में प्रेम, भक्ति, और दिव्यता के प्रतीक माने जाते हैं। राधा और कृष्ण की जोड़ी को अनंत प्रेम का प्रतीक माना जाता है, और इनकी आरती भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है। युगलकिशोर की आरती के माध्यम से भक्तजन अपने प्रेम और भक्ति को व्यक्त करते हैं और राधा-कृष्ण की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं। इस आरती का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

Aarti Shri Yuhal Kishor Ki Kijai

युगलकिशोर की आरती

आरती युगलकिशोर की कीजै ।
तन मन धन न्योछावर कीजै ॥

गौरश्याम मुख निरखन लीजै ।
हरि का रूप नयन भरि पीजै ॥

रवि शशि कोटि बदन की शोभा ।
ताहि निरखि मेरो मन लोभा ॥

ओढ़े नील पीत पट सारी ।
कुंजबिहारी गिरिवरधारी ॥

फूलन सेज फूल की माला ।
रत्न सिंहासन बैठे नंदलाला ॥

कंचन थार कपूर की बाती ।
हरि आए निर्मल भई छाती ॥

श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी ।
आरती करें सकल नर नारी ॥

नंदनंदन बृजभान किशोरी ।
परमानंद स्वामी अविचल जोरी ॥

युगलकिशोर की आरती का महत्व

युगलकिशोर की आरती का महत्व हिंदू धर्म में अत्यधिक है। राधा और कृष्ण की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में प्रेम, शांति, और आध्यात्मिकता का संचार होता है। युगलकिशोर की आरती के माध्यम से भक्तजन अपने जीवन में भगवान कृष्ण और राधा के दिव्य प्रेम को आत्मसात करने की कोशिश करते हैं। इस आरती का नियमित रूप से पालन करने से भक्तों को भगवान कृष्ण और राधा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

आरती के दौरान युगलकिशोर की महिमा का गुणगान किया जाता है और भक्तजन भगवान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को प्रकट करते हैं। युगलकिशोर की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक माध्यम भी है जिसके द्वारा भक्तजन भगवान के साथ अपने प्रेम संबंध को और अधिक गहरा बना सकते हैं। इस आरती के माध्यम से भक्तजन अपने जीवन में भगवान के प्रति समर्पण की भावना को प्रकट करते हैं और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

युगलकिशोर की आरती का लाभ

युगलकिशोर की आरती करने से व्यक्ति को विभिन्न प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। ये लाभ न केवल आध्यात्मिक होते हैं, बल्कि शारीरिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से भी व्यक्ति को संबल प्रदान करते हैं।

  1. आध्यात्मिक लाभ: युगलकिशोर की आरती करने से व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है। यह आरती व्यक्ति के भीतर की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है और उसे भगवान के समीप ले जाती है। राधा और कृष्ण की आरती में भाग लेने से व्यक्ति को आध्यात्मिक अनुभव की प्राप्ति होती है और उसका मन शुद्ध और पवित्र हो जाता है।
  2. शारीरिक लाभ: युगलकिशोर की आरती करने से शारीरिक स्वास्थ्य में भी सुधार होता है। इस आरती के दौरान भक्तजन भगवान के प्रति अपनी भक्ति को व्यक्त करते हैं, जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। आरती के समय किए जाने वाले मंत्रों का उच्चारण और शारीरिक गतिविधियां शरीर को ताजगी और ऊर्जा प्रदान करती हैं।
  3. मानसिक लाभ: युगलकिशोर की आरती करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है। इस आरती के माध्यम से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति के भीतर की तनाव और चिंता को दूर किया जा सकता है। आरती के दौरान भगवान के प्रति की गई प्रार्थना और ध्यान से व्यक्ति को मानसिक स्थिरता मिलती है।
  4. सामाजिक लाभ: युगलकिशोर की आरती में भाग लेने से समाज में एकता और सद्भावना का विकास होता है। इस आरती के माध्यम से समाज में सहयोग और सेवा की भावना उत्पन्न होती है। युगलकिशोर की आरती एक सामूहिक अनुष्ठान है, जिसमें लोग एक साथ मिलकर पूजा करते हैं, जिससे समाज में भाईचारे का विकास होता है।
  5. परिवारिक लाभ: युगलकिशोर की आरती करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह आरती घर के वातावरण को पवित्र और शुभ बनाती है। राधा-कृष्ण की आराधना से परिवार में प्रेम, सामंजस्य, और सद्भाव का वातावरण बनता है।

युगलकिशोर की आरती का स्वरूप

युगलकिशोर की आरती का स्वरूप बहुत ही भक्तिपूर्ण और आकर्षक होता है। यह आरती प्रातः और सायं काल में की जाती है। आरती के दौरान राधा-कृष्ण की मूर्तियों को सुंदर वस्त्रों और आभूषणों से सजाया जाता है। भक्तजन दीपक जलाकर भगवान की मूर्तियों के सामने आरती करते हैं और उनकी महिमा का गुणगान करते हैं। आरती के समय भक्तजन भगवान के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण को व्यक्त करते हैं और उनसे आशीर्वाद की प्रार्थना करते हैं।

युगलकिशोर की आरती के दौरान भक्तजन भगवान के मंत्रों का उच्चारण करते हैं और उनके प्रेम और दिव्यता का अनुभव करते हैं। आरती के अंत में भगवान की परिक्रमा की जाती है और भक्तजन उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

निष्कर्ष

युगलकिशोर की आरती हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठानों में की जाती है, बल्कि इसे दैनिक जीवन में अपनाने से व्यक्ति को अनेक लाभ प्राप्त होते हैं। युगलकिशोर की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और आध्यात्मिक उन्नति होती है। इस आरती का नियमित रूप से पालन करने से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं और वह भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करता है।

युगलकिशोर की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह एक ऐसा साधन भी है जिसके माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन में सकारात्मकता, शांति, और समृद्धि का संचार कर सकता है। राधा-कृष्ण की आरती में भाग लेना और उसे देखने का अनुभव अपने आप में एक अनोखा और प्रेरणादायक होता है, जो व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाता है।

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