श्री हरि स्तोत्रम् हिंदू धर्म के प्रमुख देवता भगवान विष्णु की स्तुति करने के लिए रचित एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। विष्णु को सृष्टि के पालनहार के रूप में पूजा जाता है, और वे त्रिदेवों में से एक हैं। उनके कार्यों का वर्णन करते हुए अनेक स्तोत्र रचे गए हैं, जो न केवल उनकी महिमा का गुणगान करते हैं, बल्कि भक्तों को आध्यात्मिक शक्ति और प्रेरणा प्रदान करते हैं। श्री हरि स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, आध्यात्मिक ऊर्जा, और आंतरिक स्थिरता की प्राप्ति होती है।
भगवान विष्णु की पूजा और स्तुति करने से व्यक्ति के जीवन में संतुलन, धैर्य और संकल्पशक्ति का विकास होता है। श्री हरि स्तोत्रम् में भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों, उनके गुणों और उनके कार्यों का उल्लेख मिलता है, जो हमें यह सिखाते हैं कि कैसे हमें जीवन में धर्म, कर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना चाहिए। श्री हरि स्तोत्रम् हमें जीवन के उतार-चढ़ाव में साहस और धैर्य बनाए रखने की प्रेरणा देता है।

श्री हरि स्तोत्रम्
जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं
शरच्चन्द्रभालं महादैत्यकालं
नभोनीलकायं दुरावारमायं
सुपद्मासहायम् भजेऽहं भजेऽहं ॥1
सदाम्भोधिवासं गलत्पुष्पहासं
जगत्सन्निवासं शतादित्यभासं
गदाचक्रशस्त्रं लसत्पीतवस्त्रं
हसच्चारुवक्त्रं भजेऽहं भजेऽहं ॥2
रमाकण्ठहारं श्रुतिव्रातसारं
जलान्तर्विहारं धराभारहारं
चिदानन्दरूपं मनोज्ञस्वरूपं
ध्रुतानेकरूपं भजेऽहं भजेऽहं ॥3
जराजन्महीनं परानन्दपीनं
समाधानलीनं सदैवानवीनं
जगज्जन्महेतुं सुरानीककेतुं
त्रिलोकैकसेतुं भजेऽहं भजेऽहं ॥4
कृताम्नायगानं खगाधीशयानं
विमुक्तेर्निदानं हरारातिमानं
स्वभक्तानुकूलं जगद्व्रुक्षमूलं
निरस्तार्तशूलं भजेऽहं भजेऽहं ॥5
समस्तामरेशं द्विरेफाभकेशं
जगद्विम्बलेशं ह्रुदाकाशदेशं
सदा दिव्यदेहं विमुक्ताखिलेहं
सुवैकुण्ठगेहं भजेऽहं भजेऽहं ॥6
सुरालिबलिष्ठं त्रिलोकीवरिष्ठं
गुरूणां गरिष्ठं स्वरूपैकनिष्ठं
सदा युद्धधीरं महावीरवीरं
महाम्भोधितीरं भजेऽहं भजेऽहं ॥7
रमावामभागं तलानग्रनागं
कृताधीनयागं गतारागरागं
मुनीन्द्रैः सुगीतं सुरैः संपरीतं
गुणौधैरतीतं भजेऽहं भजेऽहं ॥8
फलश्रुति
इदं यस्तु नित्यं समाधाय चित्तं
पठेदष्टकं कण्ठहारम् मुरारे:
स विष्णोर्विशोकं ध्रुवं याति लोकं
जराजन्मशोकं पुनर्विन्दते नो ॥
निष्कर्ष
श्री हरि स्तोत्रम् का पाठ हिंदू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण है। भगवान विष्णु की महिमा का गान करने से जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और संकटों का निवारण होता है। उनकी कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति का आगमन होता है। विष्णु स्तोत्र हमें यह सिखाता है कि जीवन में धर्म और सच्चाई के मार्ग पर चलना कितना महत्वपूर्ण है।
श्री हरि स्तोत्रम् का नियमित पाठ व्यक्ति के मन, शरीर और आत्मा को शुद्ध करता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करता है। भगवान विष्णु की कृपा से भक्त के जीवन में न केवल भौतिक सुख की प्राप्ति होती है, बल्कि उसे आंतरिक शांति और संतोष का अनुभव भी होता है।
श्री हरि स्तोत्रम् हमें यह सिखाता है कि जीवन में धैर्य, संयम और संकल्पशक्ति का कितना महत्व है। भगवान विष्णु की स्तुति करने से व्यक्ति के जीवन में संतुलन और स्थिरता आती है, जिससे वह अपने जीवन के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है।
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