Last Updated: 28 March 2025
श्री दुर्गा चालीसा (Shri Durga Chalisa) दुर्गा चालीसा एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्तुति है जिसमें माता दुर्गा की महिमा का गान किया गया है। यह चालीसा 40 चौपाइयों का संग्रह है, जो भक्तों को देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए प्रेरित करता है। नवरात्रि में दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में शांति, समृद्धि और सुरक्षा का अनुभव होता है।
दुर्गा चालीसा का महत्व विशेष रूप से नवरात्रि के समय बढ़ जाता है, जब भक्तजन माता दुर्गा की उपासना करते हैं। यह स्तुति मनोकामनाओं की पूर्ति, संकटों से मुक्ति और आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

दुर्गा चालीसा का पाठ नियमित रूप से करने से लाभ
दुर्गा चालीसा का रोजाना पाठ मानसिक रूप से मजबूती प्रदान करता है। यह आपके मन को शांत करने और आपके आसपास की बुरी शक्तियों से बचाने में मदद करता है। यह आपके मन को नियंत्रित रखता है और यदि आपकी कुंडली में राहु दोष है, तो उसे भी कमजोर करता है। सच्चे मन से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से सभी दुख और कष्टों का नाश होता है और आपको सम्मान और संपत्ति प्राप्त होती है।
दुर्गा चालीसा क्या है?
दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है। उन्हें आदिशक्ति के रूप में जाना जाता है, और उनके नौ स्वरूपों की विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि यदि कोई व्यक्ति नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करता है, तो मां दुर्गा का आशीर्वाद जीवनभर बना रहता है। इस चालीसा के पाठ से न केवल देवी प्रसन्न होती हैं, बल्कि साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होता है, जिससे मन शांत और एकाग्र रहता है।

दुर्गा चालीसा की रचना किसने की?
दुर्गा चालीसा की रचना संत देवी-दास जी ने की थी। वह मां दुर्गा के परम भक्त थे और उन्होंने इस चालीसा में देवी के सभी स्वरूपों का विस्तृत वर्णन किया है। कई पौराणिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि मां दुर्गा में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुण समाहित हैं, और वे सृष्टि की संचालन शक्ति भी मानी जाती हैं।
श्री दुर्गा चालीसा पाठ (Shri Durga Chalisa Path Lyrics)
नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूँ लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला ।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे ।
दरश करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लै कीना ।
पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला ।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी ।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें ।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती को तुम धारा ।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा ।
परगट भई फाड़कर खम्बा ॥10॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो ।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं ।
श्री नारायण अंग समाहीं ॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा ।
दयासिन्धु दीजै मन आसा ॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी ।
महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी अरु धूमावति माता ।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता ॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी ।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ॥
केहरि वाहन सोह भवानी ।
लांगुर वीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै ।
जाको देख काल डर भाजै ॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला ।
जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत ।
तिहुँलोक में डंका बाजत ॥20॥
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे ।
रक्तबीज शंखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी ।
जेहि अघ भार मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा ।
सेन सहित तुम तिहि संaहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब ।
भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासव लोका ।
तब महिमा सब रहें अशोका ॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी ।
तुम्हें सदा पूजें नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें ।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई ।
जन्ममरण ताकौ छुटि जाई ॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी ।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचारज तप कीनो ।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ॥30
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को ।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप का मरम न पायो ।
शक्ति गई तब मन पछितायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी ।
जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा ।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावें ।
मोह मदादिक सब बिनशावें ॥
शत्रु नाश कीजै महारानी ।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला ।
ऋद्धिसिद्धि दै करहु निहाला ॥
जब लगि जिऊँ दया फल पाऊँ ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ॥
श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै ।
सब सुख भोग परमपद पावै ॥40
देवीदास शरण निज जानी ।
कहु कृपा जगदम्ब भवानी ॥
॥दोहा॥
शरणागत रक्षा करे,
भक्त रहे नि:शंक ।
मैं आया तेरी शरण में,
मातु लिजिये अंक ॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा संपूर्ण ॥
श्री दुर्गा चालीसा पाठ की फोटो (Shri Durga Chalisa Path Image)

दुर्गा चालीसा का महत्व (Shri Durga Chalisa Mahatva)
नियमित रूप से दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा जीवन में बनी रहती है। बिना चालीसा के मां दुर्गा की आराधना अधूरी मानी जाती है। जो व्यक्ति प्रतिदिन श्रद्धापूर्वक इस चालीसा का पाठ करता है, वह अपने जीवन की सभी बाधाओं को दूर कर सफलता प्राप्त करता है। इसके पाठ से साधक को मानसिक, भौतिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं।
दुर्गा चालीसा का पाठ करने की विधि (Shri Durga Chalisa Path Vidhi)
- स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- लकड़ी की चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- धूप, दीप और लाल फूल अर्पित कर मां दुर्गा का ध्यान करें।
- देवी को श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
- फल और मिष्ठान का भोग लगाकर श्रद्धापूर्वक दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
दुर्गा चालीसा पाठ के लाभ (Shri Durga Chalisa Labh)
- मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है।
- शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
- आत्मविश्वास बढ़ता है और कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।
- नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है।
- आर्थिक संपन्नता आती है और घर में लक्ष्मी का वास होता है।
- जीवन के कष्टों का सामना करने की शक्ति मिलती है।
- खोया हुआ सम्मान और संपत्ति पुनः प्राप्त होती है।
- निराशा दूर होती है और जीवन में सकारात्मकता आती है।
- असाध्य रोगों से मुक्ति मिलती है।
- समाज में खोई हुई प्रतिष्ठा फिर से प्राप्त हो सकती है।
दुर्गा चालीसा पढ़ते समय न करें ये गलतियां
- तामसिक भोजन का सेवन न करें।
- ब्रह्मचर्य का पालन करें।
- सांसारिक मोह-माया से दूर रहें।
- मन में द्वेष या बुरी भावना न रखें।
- पूजा स्थल और आसपास स्वच्छता बनाए रखें।
नियमित रूप से श्रद्धा और विश्वास के साथ दुर्गा चालीसा का पाठ करने से मां दुर्गा की कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-शांति और सफलता प्राप्त होती है।
ALSO READ:-
Shri Shiv Chalisa Lyrics: श्री शिव चालीसा- जय गिरिजा पति दीन दयाला….