Sharad Purnima 2024: शरद पूर्णिमा पर रात में खीर बनाने का क्या है महत्व, साथ ही जाने कब है शरद पूर्णिमा

शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और महत्वपूर्ण तिथि है, जिसे विशेष रूप से रात के समय चंद्रमा की पूजा और खीर बनाने के लिए जाना जाता है। शरद पूर्णिमा को “कोजागरी पूर्णिमा” या “रास पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन चंद्रमा की किरणों को विशेष रूप से शुभ माना जाता है, और कहा जाता है कि इन किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति लाते हैं।

इस दिन को भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोपियों के साथ रास लीला करने और देवी लक्ष्मी के जागरण से भी जोड़ा जाता है। इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन विशेष पूजा-अर्चना, व्रत और रात में खीर बनाने और उसे चंद्रमा की किरणों के नीचे रखने का महत्व है।

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Sharad Purnima 2024

शरद पूर्णिमा कब है? (Sharad Purnima 2024 Date & Time)

शरद पूर्णिमा हर साल अश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती है। यह तिथि ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है। वर्ष 2024 में शरद पूर्णिमा 16 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन रात के समय चंद्रमा अपनी पूर्ण शोभा में होता है, और यह रात को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की 16 कलाएं पूर्ण होती हैं, और यह दिन जीवन में सौभाग्य, सुख-समृद्धि और शांति लाने का कारक माना जाता है।

इस दिन से जुड़ी तिथियों और शुभ मुहूर्तों को विस्तार से जानें:

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 16 अक्टूबर 2024, सुबह 03:33 बजे
  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 17 अक्टूबर 2024, सुबह 02:02 बजे
  • लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त: 16 अक्टूबर 2024, शाम 06:11 बजे से 08:26 बजे तक
  • कोजागरी व्रत का पारण: 17 अक्टूबर 2024, सुबह 08:15 बजे

शरद पूर्णिमा पर खीर बनाने का महत्व (Tradition Of Making Kheer On Sharad Purnima)

शरद पूर्णिमा को चंद्रमा का विशेष दिन माना जाता है। हिंदू धर्म में चंद्रमा को मानसिक शांति, समृद्धि और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी पूर्ण शोभा में होता है और उसकी किरणें विशेष रूप से दिव्य मानी जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा से अमृत वर्षा होती है, और इसी कारण से इस दिन खीर बनाकर उसे चंद्रमा की किरणों में रात भर रखा जाता है। माना जाता है कि चंद्रमा की किरणें खीर में अमृत के गुण भर देती हैं, जिससे इसे खाने से स्वास्थ्य लाभ होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने की विधि (Kheer Banane Ki Vidhi)

शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने की परंपरा बेहद विशेष है, और इसे सही तरीके से तैयार करना और चंद्रमा की किरणों में रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चंद्रमा की किरणों में रखने की विधि:

  1. सामग्री:
    • 1 लीटर दूध
    • 100 ग्राम चावल
    • 200 ग्राम चीनी
    • इलायची (स्वादानुसार)
    • सूखे मेवे (काजू, बादाम, पिस्ता आदि)
  2. खीर बनाने की विधि:
    • सबसे पहले दूध को उबाल लें और उसमें धोए हुए चावल डाल दें।
    • धीमी आंच पर इसे अच्छे से पकने दें, जब तक कि चावल पूरी तरह से दूध में पक न जाएं।
    • जब चावल अच्छे से पक जाएं, तो उसमें चीनी डालें और इसे अच्छी तरह से मिलाएं।
    • खीर को कुछ और देर पकाएं ताकि वह गाढ़ी हो जाए।
    • अंत में इलायची पाउडर और सूखे मेवे डालकर खीर को और भी स्वादिष्ट बनाएं।
    • अब खीर तैयार हो गई है। इसे एक साफ बर्तन में निकाल लें।
  3. चंद्रमा की किरणों में खीर रखना:
    • रात के समय चंद्रमा की किरणों को सीधे खीर पर पड़ने दें। इसके लिए खीर को घर की छत या आंगन में रखें।
    • खीर को खुली जगह पर रखना चाहिए ताकि चंद्रमा की किरणें पूरी तरह से उस पर पड़ सकें।
    • खीर को रात भर चंद्रमा की किरणों में रखा जाता है।
  4. खीर का सेवन:
    • अगले दिन प्रातः काल या देर रात को चंद्रमा की किरणों से प्रभावित खीर को प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
    • यह खीर बहुत शुभ मानी जाती है और इसका सेवन करने से शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभ होते हैं।

शरद पूर्णिमा से जुड़े अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक पहलू

शरद पूर्णिमा का महत्व केवल खीर बनाने तक ही सीमित नहीं है। इस दिन को लेकर कई अन्य धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराएं भी जुड़ी हुई हैं:

  1. कोजागरी व्रत:
    शरद पूर्णिमा के दिन कई स्थानों पर कोजागरी व्रत रखा जाता है। यह व्रत खासकर उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है जो परिवार की समृद्धि और सुख-शांति के लिए उपवास करती हैं। इस दिन देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है, और रात्रि जागरण का भी महत्व है। यह माना जाता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और उन लोगों को आशीर्वाद देती हैं जो जागरण कर रहे होते हैं। इसीलिए इसे “कोजागरी” पूर्णिमा कहा जाता है, जिसका अर्थ है “कौन जाग रहा है?”
  2. लक्ष्मी पूजा:
    शरद पूर्णिमा के दिन देवी लक्ष्मी की पूजा करने से घर में समृद्धि, धन-धान्य और सौभाग्य का वास होता है। इस दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए धूप-दीप और विशेष रूप से खीर का भोग लगाया जाता है।
  3. रासलीला:
    शरद पूर्णिमा का संबंध भगवान श्रीकृष्ण और गोपियों की रासलीला से भी है। इस दिन वृंदावन में भगवान कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास किया था। इसे भक्ति, प्रेम और आत्मसमर्पण का प्रतीक माना जाता है। इस दिन कृष्ण भक्त वृंदावन और मथुरा में विशेष आयोजन करते हैं।

शरद पूर्णिमा के स्वास्थ्य लाभ

शरद पूर्णिमा को केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना गया है। इस दिन चंद्रमा की किरणों का प्रभाव शरीर और मन पर विशेष रूप से पड़ता है। यहाँ कुछ प्रमुख स्वास्थ्य लाभ दिए गए हैं:

  1. मानसिक शांति:
    शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में खीर को रखने और उसका सेवन करने से मानसिक शांति मिलती है। यह दिन मानसिक तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है।
  2. पाचन तंत्र में सुधार:
    शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा की किरणों से प्रभावित खीर का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
  3. शरीर की ऊर्जा को बढ़ाना:
    यह माना जाता है कि चंद्रमा की किरणों से प्रभावित भोजन से शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है और शारीरिक थकान दूर होती है।

निष्कर्ष

शरद पूर्णिमा हिंदू धर्म में एक अत्यंत पवित्र और शुभ दिन है, जिसका धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दिन चंद्रमा की पूजा, खीर का भोग और देवी लक्ष्मी की उपासना से जीवन में शांति, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की किरणों में औषधीय गुण होते हैं, जो खीर को विशेष रूप से पौष्टिक और लाभकारी बनाते हैं।

शरद पूर्णिमा की रात खीर बनाने और उसे चंद्रमा की किरणों में रखने की परंपरा अत्यंत शुभ मानी जाती है। यह परंपरा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है। यदि इस पवित्र दिन पर श्रद्धा और भक्ति से खीर बनाकर चंद्रमा की किरणों में रखी जाए और फिर उसका सेवन किया जाए, तो जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों और समस्याओं का निवारण होता है।

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