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Saraswati Puja Vrat Katha: सरस्वती पूजा व्रत कथा,सरस्वती पूजा विधि मंत्र संस्कृत में, घर पर ऐसे करें मां सरस्वती की पूजा

माघ मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी पर पूरे देश में बसंत पंचमी यानी सरस्वती पूजा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विद्या और ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। इसलिए सरस्वती पूजा को उनके जन्मदिवस के रूप में भी मनाया जाता है। इस खास अवसर पर मां सरस्वती के जन्म की कथा पढ़ना अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सरस्वती पूजा

सरस्वती पूजा की पहली व्रत कथा (Saraswati Puja Vrat Katha)

सरस्वती पूजा की कहानी ब्रह्मा वैवर्त पुराण और मत्स्य पुराण से जुड़ी है। एक पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी धरती पर विचरण कर रहे थे। उन्होंने देखा कि मनुष्य और जीव-जंतु नीरस और शांत थे। इस पर ब्रह्मा जी ने अपनी रचना में कमी महसूस की और कमंडल से जल निकालकर पृथ्वी पर छिड़क दिया। इससे चार भुजाओं वाली एक स्त्री प्रकट हुई, जिसके हाथों में वीणा, माला, पुस्तक और वर मुद्रा थी।

ब्रह्मा जी ने उन्हें ज्ञान और कला की देवी सरस्वती के नाम से पुकारा। ब्रह्मा जी के कहने पर, सरस्वती जी ने वीणा के तार झंकृत किए, जिससे सभी प्राणी बोलने लगे, नदियां बहने लगीं और हवा में संगीत गूंज उठा। तब से, बुद्धि और संगीत की देवी के रूप में मां सरस्वती की पूजा की जाने लगी।

सरस्वती पूजा की दूसरी व्रत कथा

एक बार देवी सरस्वती ने भगवान श्रीकृष्ण को देखा और उन पर मोहित हो गईं। वह उन्हें पति के रूप में पाना चाहती थीं, लेकिन भगवान कृष्ण ने बताया कि वे केवल राधारानी के प्रति समर्पित हैं। फिर भी, मां सरस्वती को संतुष्ट करने के लिए, भगवान कृष्ण ने वरदान दिया कि आज से माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी पर, पूरी दुनिया तुम्हें विद्या और ज्ञान की देवी के रूप में पूजेगी। ऐसा कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले देवी सरस्वती की पूजा की थी। तब से ही बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा की परंपरा चली आ रही है।

सरस्वती पूजा विधि आरंभ

सरस्वती माता के पूजन स्थल को गंगाजल से पवित्र करें। सरस्वती माता की प्रतिमा या तस्वीर को सामने रखें और धूप-दीप, अगरबत्ती और गुगुल जलाएं, ताकि वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो। इसके बाद, पूजा आरंभ करें और मन में देवी का ध्यान करें। अंत में, पूजन सामग्री को मंत्रों के द्वारा पवित्र करें।

“ऊं अपवित्रः पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तरः शुचिः॥” इन मंत्रों के साथ अपने ऊपर और आसन पर तीन-तीन बार कुशा या पीले फूल से छींटें लगाएं। फिर आचमन मंत्र बोलते हुए आचमन करें – “ऊं केशवाय नमः, ऊं माधवाय नमः, ऊं नारायणाय नमः।” इसके बाद हाथ धोएं और पुनः आसन शुद्धि मंत्र का उच्चारण करें – “ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्वं विष्णुनाधृता। त्वं च धारय मां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥”

माथे पर चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र उच्चारित करें: “चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठतु सर्वदा।”

सरस्वती पूजा संकल्प मंत्र

हाथ में तिल, फूल, अक्षत, मिठाई और फल लेकर यह मंत्र उच्चारित करें: “यथोपलब्ध पूजन सामग्रीभिः माघ मासे वसंत पंचमी तिथौ भगवत्या: सरस्वत्या: पूजनमहं करिष्ये।” इस मंत्र को बोलते हुए, हाथ में रखी सामग्री माँ सरस्वती के सामने अर्पित करें। इसके बाद गणपति की पूजा करें।

सरस्वती पूजा के दिन गणपति पूजन विधि

गणपतिजी का ध्यान करते हुए फूल लेकर यह मंत्र उच्चारित करें: “गजाननं भूतगणादि सेवितं कपित्थ जम्बू फल चारु भक्षणम्। उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।” फिर हाथ में अक्षत लेकर गणपति जी का आह्वान करें: “ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।” इसके बाद अक्षत को पात्र में रखें।

जल लेकर बोले

एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:। रक्त चंदन लगाएं: इदम रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसी प्रकार श्रीखंड चंदन बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं। इसके पश्चात सिन्दूर चढ़ाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:। दूर्वा और विल्बपत्र गणेश जी को चढ़ाएं। गणेश जी को पीले वस्त्र चढ़ाएं। इदं पीत वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि।

गणपति जी को प्रसाद अर्पित करने का मंत्र

इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। मिष्टान अर्पित करने के लिए मंत्र: इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन कराएं। इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:। अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:।

गणपति पूजन की विधि की तरह ही सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा करें। इस बार, गणेश जी के स्थान पर नवग्रहों के नाम लें और उन्हें श्रद्धा अर्पित करें।

सरस्वती पूजा कलश पूजा विधि

घड़े या लोटे पर मोली बांधकर, कलश के ऊपर आम का पल्लव रखें। कलश के अंदर सुपारी, दूर्वा, अक्षत और मुद्रा रखें। फिर कलश के गले में मोली लपेटें। नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें। हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का आह्वान करें: “ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:। अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:।” (अस्मिन कलशे वरुणं सांगं सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)

इसके बाद, जिस प्रकार गणेश जी की पूजा की गई है, उसी प्रकार वरुण और इन्द्रादि देवताओं की भी पूजा करें।

सरस्वती पूजन ध्यान मंत्र

या कुन्देन्दु तुषारहार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।

या ब्रह्माच्युतशंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।

शुक्लां ब्रह्मविचारसारपरमांद्यां जगद्व्यापनीं।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यांधकारपहाम्।।

हस्ते स्फाटिक मालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्।।

देवी सरस्वती प्रतिष्ठा मंत्र

देवी सरस्वती की प्रतिष्ठा के लिए, हाथ में अक्षत लेकर इस मंत्र का उच्चारण करें: “ॐ भूर्भुवः स्वः सरस्वती देव्यै इहागच्छ इह तिष्ठ।” मंत्र बोलकर अक्षत छोड़ें। इसके बाद जल लेकर कहें: “एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: “ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ श्री सरस्वतयै नमः।”

इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, सरस्वतयै नमो नमः।। ॐ सरस्वतयै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’ इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं।

देवी सरस्वती को “इदं पीत वस्त्रं समर्पयामि” कहकर पीला वस्त्र अर्पित करें। फिर प्रसाद अर्पित करें और “इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं सरस्वतयै समर्पयामि” मंत्र का उच्चारण करें।

देवी सरस्वती को मिठाई अर्पित करने के लिए करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।” प्रसाद अर्पित करने के बाद, आचमन कराएं और यह मंत्र बोलें: “इदं आचमनयं ऊं सरस्वतयै नमः।”

देवी सरस्वती को पान और सुपारी अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं सरस्वतयै समर्पयामि।” फिर एक फूल लेकर उसे देवी सरस्वती पर चढ़ाएं और कहें: “एष: पुष्पांजलि ऊं सरस्वतयै नमः।” इसके बाद, एक फूल लेकर उसमें चंदन और अक्षत लगाकर किताब या कॉपी पर रखें।

आरती की थाल को सजाएं और देवी सरस्वती की आरती करें। इसके बाद, प्रसाद का वितरण करें।

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