सरस्वती माता को ज्ञान, संगीत, कला और विद्या की देवी माना जाता है। भारतीय धर्म और संस्कृति में उनका विशेष स्थान है। सरस्वती माता को वीणावादिनी भी कहा जाता है क्योंकि उनके हाथ में वीणा है, जो संगीत का प्रतीक है। उनके हाथ में पुस्तक विद्या का और माला ध्यान व ज्ञान का प्रतीक मानी जाती है। उनकी आराधना विशेष रूप से विद्या प्राप्ति के लिए की जाती है।
महत्व
सरस्वती माता की आरती का गायन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। यह आरती ज्ञान, विवेक और बुद्धि को जागृत करने का माध्यम होती है। माता सरस्वती की आरती करने से मन को शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। छात्र, कलाकार और विद्वान उनकी आराधना विशेष रूप से करते हैं ताकि वे अपने कार्यक्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकें।
सरस्वती माता की आरती का नियमित रूप से गायन करने से मानसिक शुद्धता और सकारात्मकता का संचार होता है। यह भक्तों को आलस्य और अज्ञानता से मुक्त कर ज्ञान और प्रगति की ओर ले जाती है। माता सरस्वती की कृपा से वाणी मधुर होती है और शब्दों में प्रभावशीलता आती है।
सरस्वती माता की आरती
जय सरस्वती माता,
मैया जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
चन्द्रवदनि पद्मासिनि,
द्युति मंगलकारी ।
सोहे शुभ हंस सवारी,
अतुल तेजधारी ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
बाएं कर में वीणा,
दाएं कर माला ।
शीश मुकुट मणि सोहे,
गल मोतियन माला ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
देवी शरण जो आए,
उनका उद्धार किया ।
पैठी मंथरा दासी,
रावण संहार किया ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
विद्या ज्ञान प्रदायिनि,
ज्ञान प्रकाश भरो ।
मोह अज्ञान और तिमिर का,
जग से नाश करो ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
धूप दीप फल मेवा,
माँ स्वीकार करो ।
ज्ञानचक्षु दे माता,
जग निस्तार करो ॥
॥ जय सरस्वती माता…॥
माँ सरस्वती की आरती,
जो कोई जन गावे ।
हितकारी सुखकारी,
ज्ञान भक्ति पावे ॥
जय जय सरस्वती माता…॥
जय सरस्वती माता,
जय जय सरस्वती माता ।
सदगुण वैभव शालिनी,
त्रिभुवन विख्याता ॥
निष्कर्ष
सरस्वती माता की आराधना भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है। उनके आरती गायन से न केवल भक्तों को मानसिक शांति मिलती है बल्कि यह ज्ञान और बुद्धि के विकास में सहायक होता है। माता सरस्वती की कृपा से जीवन में सफलता, समृद्धि और खुशहाली आती है।
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