संकष्टी चतुर्थी, हिंदू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एक महत्वपूर्ण व्रत है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाने वाला यह व्रत, विघ्नहर्ता और बुद्धि के देवता गणेश जी की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर माना जाता है. आइए, इस लेख में हम 2024 के अप्रैल माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी के बारे में विस्तार से जानें। इसमें तिथि, पूजा विधि, व्रत का महत्व और कुछ रोचक तथ्य शामिल हैं।
तिथि और शुभ मुहूर्त
2024 के अप्रैल माह में संकष्टी चतुर्थी 27 अप्रैल, शनिवार को पड़ रही है.
यहाँ तिथि और शुभ मुहूर्त से जुड़ी अधिक जानकारी दी गई है:
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 27 अप्रैल 2024, सुबह 08:18 बजे
- चतुर्थी तिथि समापन: 28 अप्रैल 2024, सुबह 08:28 बजे
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
संकष्टी चतुर्थी के शुभ दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा की जाती है. आइए जानते हैं इसकी सरल पूजा विधि:
- पूर्व तैयारी: व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूजा की सामग्री जैसे फल, फूल, मोदक, दूब, दीपक, सिंदूर, हल्दी, इत्र, धूप आदि इकट्ठी कर लें।
- गणेश जी की स्थापना: अपने घर के मंदिर में या साफ चौकी पर गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। प्रतिमा को गंगाजल से शुद्ध करें और फिर आसन पर विराजमान करें।
- आवाहन और स्नान: गणेश जी का ध्यान करते हुए उनका आवाहन करें. इसके बाद उन्हें दूध या पंचामृत से स्नान कराएं।
- अभिषेक: इत्र, सिंदूर, हल्दी आदि चढ़ाकर गणेश जी का अभिषेक करें।
- वस्त्र और आभूषण: गणेश जी को वस्त्र और आभूषण अर्पित करें।
- फल, फूल और मोदक: भगवान गणेश को उनकी प्रिय भोग सामग्री – फल, फूल और मोदक अर्पित करें।
- मंत्र जाप और आरती: “ॐ गं गणपतये नमः” या “गणेश चतुर्थी व्रत कथा” का पाठ करें। इसके बाद गणेश जी की आरती करें।
- धूप और दीप: धूप जलाएं और दीप प्रज्वलित करें।
- व्रत का संकल्प: यदि आप व्रत रख रहे हैं, तो उसका संकल्प लें।
- पूजा का समापन: पूजा के अंत में भगवान गणेश से प्रार्थना करें और उन्हें नमस्कार करें।
संकष्टी चतुर्थी का महत्व
संकष्टी चतुर्थी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानते हैं इसके कुछ प्रमुख कारण:
- भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति: संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि इससे बुद्धि, विवेक, शुभ कार्य में सफलता और सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
- मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से किया गया संकष्टी चतुर्थी का व्रत और पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।
- विघ्नहर्ता की उपासना: भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के रूप में जाना जाता है। अतः संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से जीवन में आने वाली बाधाओं और विघ्नों को दूर करने में सहायता मिलती है।
- शुभ कार्यों की शुरुआत: कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। इसलिए, संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत रखना और पूजा करना, किसी भी नए कार्य की शुरुआत के लिए शुभ माना जाता है।
- पारिवारिक सुख-शांति: संकष्टी चतुर्थी का व्रत करने से घर-परिवार में सुख-शांति का वास होता है।
संकष्टी चतुर्थी के व्रत के नियम
संकष्टी चतुर्थी के व्रत के कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। ये नियम इस प्रकार हैं:
- भोजन संबंधी नियम: व्रत वाले दिन किसी भी प्रकार का अनाज नहीं खाना चाहिए। आप साबूदाना खीर, फल, दूध, दही आदि का सेवन कर सकते हैं।
- आचरण संबंधी नियम: व्रत के दौरान झूठ नहीं बोलना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए और किसी के साथ भी बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए। सत्यनिष्ठा, अहिंसा और दयालुता का भाव बनाए रखना चाहिए।
- पूजा संबंधी नियम: पूजा के दौरान स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को भी साफ रखें। पूजा विधि का विधिपूर्वक पालन करें और पूरी श्रद्धाभाव से भगवान गणेश की आराधना करें।
अप्रैल 2024 की संकष्टी चतुर्थी: विनायक चतुर्थी के रूप में जाना जाता है
आपको यह जानकर आश्चर्य हो सकता है कि अप्रैल 2024 में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को विनायक चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। विनायक, भगवान गणेश के अन्य नामों में से एक है। इस विशेष दिन पर भगवान गणेश की पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। कई लोग इस दिन भगवान गणेश को मोदक का भोग भी लगाते हैं।
संकष्टी चतुर्थी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
संकष्टी चतुर्थी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य भी हैं, जिन्हें जानना आपके लिए रोचक हो सकता है:
- पौराणिक कथा: संकष्टी चतुर्थी की शुरुआत के पीछे एक पौराणिक कथा भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार, माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश जी को संकटों से मुक्ति दिलाने के लिए इस व्रत को रखा था।
- उपवास का महत्व: संकष्टी चतुर्थी के व्रत में उपवास का विशेष महत्व होता है। माना जाता है कि उपवास करने से शरीर और मन दोनों शुद्ध होते हैं और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने में सहायता मिलती है।
- क्षेत्रीय भिन्नताएं: संकष्टी चतुर्थी को पूरे भारत में मनाया जाता है, लेकिन पूजा विधि और व्रत के नियमों में क्षेत्रीय भिन्नताएं देखने को मिल सकती हैं। कुछ स्थानों पर लोग शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य भी देते हैं।
उपसंहार
संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश की भक्ति और आराधना का पर्व है। यह व्रत न केवल आपको अपने आराध्य से जुड़ने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि आपके जीवन में सुख-शांति और सफलता लाने में भी सहायक होता है।