Rin Mukti Shri Ganesh Stotra| ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र पाठ |इस पाठ को करने से मिलती है 6 महीने में कर्ज से मुक्ति

ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र: कई बार जीवन में परिस्थितियाँ ऐसी बन जाती हैं कि व्यक्ति को अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने या किसी विशेष कारणवश कर्ज लेना पड़ जाता है। लेकिन कर्ज लेने के बाद उसे चुकाना अक्सर कठिन हो जाता है। ऐसे समय में ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ अत्यंत फलदायी माना जाता है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति प्रतिदिन प्रातःकाल श्रद्धापूर्वक ‘ऋणमोचन स्तोत्र’ का पाठ करता है, वह लगभग छह माह में अपने कर्ज से मुक्ति पा सकता है।

ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र के लाभ (Rin Mukti Shri Ganesh Stotra Labh)

शास्त्रों में वर्णित है कि नियमित रूप से ऋणमोचन महागणपति स्तोत्र का पाठ करने से न केवल कर्ज से छुटकारा मिलता है, बल्कि मन को शांति भी प्राप्त होती है। इसके साथ ही धन से जुड़ी हर प्रकार की समस्या दूर हो जाती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र पाठ (Rin Mukti Shri Ganesh Stotra)

॥ ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्रम् ॥

॥ विनियोग ॥

ॐ अस्य श्रीऋणविमोचनमहागणपति-स्तोत्रमन्त्रस्य

शुक्राचार्य ऋषिः ऋणविमोचनमहागणपतिर्देवता

अनुष्टुप् छन्दः ऋणविमोचनमहागणपतिप्रीत्यर्थे जपे विनियोगः।

 ॥ स्तोत्र पाठ ॥

ॐ स्मरामि देवदेवेशंवक्रतुण्डं महाबलम्।

षडक्षरं कृपासिन्धुंनमामि ऋणमुक्तये॥1॥

महागणपतिं वन्देमहासेतुं महाबलम्।

एकमेवाद्वितीयं तुनमामि ऋणमुक्तये॥2॥

एकाक्षरं त्वेकदन्तमेकंब्रह्म सनातनम्।

महाविघ्नहरं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥3॥

शुक्लाम्बरं शुक्लवर्णंशुक्लगन्धानुलेपनम्।

सर्वशुक्लमयं देवंनमामि ऋणमुक्तये॥4॥

रक्ताम्बरं रक्तवर्णंरक्तगन्धानुलेपनम्।

रक्तपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥5॥

कृष्णाम्बरं कृष्णवर्णंकृष्णगन्धानुलेपनम्।

कृष्णयज्ञोपवीतं चनमामि ऋणमुक्तये॥6॥

पीताम्बरं पीतवर्णपीतगन्धानुलेपनम्।

पीतपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥7॥

सर्वात्मकं सर्ववर्णंसर्वगन्धानुलेपनम्।

सर्वपुष्पैः पूज्यमानंनमामि ऋणमुक्तये॥8॥

एतद् ऋणहरं स्तोत्रंत्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।

षण्मासाभ्यन्तरे तस्यऋणच्छेदो न संशयः॥9॥

सहस्रदशकं कृत्वाऋणमुक्तो धनी भवेत्॥

॥ इति रुद्रयामले ऋणमुक्ति श्री गणेशस्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र का महत्व (Rin Mukti Shri Ganesh Stotra Mahatva)

ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में मिलता है। इसे विशेष रूप से कर्ज़ से मुक्ति और आर्थिक समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना गया है। गणपति जी को ‘ऋणहर्ता’ कहा गया है, यानी जो भक्तों के जीवन से ऋण, आर्थिक कठिनाई और बाधाओं को दूर करते हैं। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति श्रद्धा और विश्वास के साथ इस स्तोत्र का पाठ करता है, उसके जीवन में धन-संबंधी परेशानियाँ कम होने लगती हैं और धीरे-धीरे कर्ज़ समाप्त हो जाता है।

पाठ करने का सही समय और नियम

  • यह स्तोत्र प्रातःकाल स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र धारण कर, भगवान गणेश के चित्र या मूर्ति के सामने बैठकर करना चाहिए।
  • पाठ से पहले दीपक और अगरबत्ती जलाकर श्री गणेश जी को प्रणाम करें।
  • मन को शांत रखकर और एकाग्र होकर कम से कम 11 बार इस स्तोत्र का उच्चारण करें।
  • लगातार 21 दिन, 41 दिन या 6 माह तक नियमपूर्वक करने पर विशेष फल मिलता है।

पूजा विधि

  1. स्नान व शुद्धि – प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ पीले या सफेद वस्त्र पहनें।
  2. गणेश पूजन की तैयारी – पूजन स्थान को साफ करें और गणेश जी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  3. आसन और दीप प्रज्वलन – पूजा के लिए लाल या पीले कपड़े का आसन बिछाकर बैठें और दीपक जलाएँ।
  4. आवाहन और मंत्र – “ॐ गणेशाय नमः” मंत्र का 11 या 21 बार जाप करें।
  5. अर्पण – गणेश जी को मोदक, दूर्वा घास, लाल पुष्प, अक्षत, सिंदूर, और नैवेद्य अर्पित करें।
  6. ऋणमुक्ति श्री गणेश स्तोत्र पाठ – श्रद्धापूर्वक पूरे स्तोत्र का पाठ करें।
  7. आरती और प्रार्थना – गणेश जी की आरती करें और उनसे कर्ज़ मुक्ति, समृद्धि व सुख-शांति की प्रार्थना करें।

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