Rama Ekadashi 2025| रमा एकादशी अक्टूबर 2025 में कब मनाई जाएगी| यहाँ जाने तिथि और महत्व

Rama Ekadashi 2025 Date: सनातन परंपरा में रमा एकादशी व्रत का अत्यंत महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति श्रद्धा और नियमों के साथ इस व्रत का पालन करता है, उसकी सभी मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यह व्रत केवल आध्यात्मिक दृष्टि से ही नहीं, बल्कि सांसारिक जीवन को भी सुखमय बनाने वाला माना गया है। कहा जाता है कि रमा एकादशी व्रत के प्रभाव से साधक अपने जीवन में किए गए जाने-अनजाने पापों से मुक्त हो जाता है और आत्मिक शुद्धि प्राप्त करता है। इसी कारण इसे परम फलदायी और मोक्षदायी व्रत कहा गया है।

इस दिन विशेष रूप से सफेद और पीले रंग की वस्तुओं का दान करना श्रेष्ठ माना गया है। इससे न केवल पुण्य की प्राप्ति होती है बल्कि घर-परिवार में सुख-समृद्धि भी बढ़ती है। कार्तिक मास का महत्व भी इसी से जुड़ा है, क्योंकि यह महीना संपूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित है।

कार्तिक माह और भगवान विष्णु का संबंध

कार्तिक मास को धर्मशास्त्रों में अत्यंत पवित्र माना गया है। यह महीना भगवान विष्णु की आराधना के लिए विशेष फलदायी होता है। मान्यता है कि इस कालखंड में की गई भक्ति साधना से मनुष्य को अनंत पुण्य की प्राप्ति होती है। इस समय रमा एकादशी और देवउठनी एकादशी जैसे पावन पर्व आते हैं।

देवउठनी एकादशी का विशेष महत्व है, क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु क्षीरसागर में योगनिद्रा से जागृत होते हैं। यह शुभ क्षण पूरे संसार के लिए मंगलकारी माना जाता है। भक्तजन इस अवसर पर विष्णु भगवान की पूजा कर अपने जीवन को धर्ममय और समृद्ध बनाने का संकल्प लेते हैं।

रमा एकादशी का महत्व

रमा एकादशी का व्रत कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की संयुक्त रूप से पूजा की जाती है। इस व्रत का पालन करने वाले को अश्वमेध यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

धर्मग्रंथों में वर्णन है कि इस दिन किए गए व्रत और पूजन से जीवन के सभी संकट दूर होते हैं और साधक पर मां लक्ष्मी की विशेष कृपा बरसती है। जो लोग आर्थिक तंगी से परेशान रहते हैं या अपने जीवन में स्थायी सुख-शांति की कामना करते हैं, उनके लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावकारी माना गया है।

रमा एकादशी 2025 की तिथि और मुहूर्त (October Ekadashi Date 2025)

वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में रमा एकादशी 17 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस तिथि की शुरुआत 16 अक्टूबर को सुबह 10 बजकर 35 मिनट से होगी और इसका समापन 17 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 12 मिनट पर होगा। उदया तिथि को ध्यान में रखते हुए, व्रत और पूजन का श्रेष्ठ समय 17 अक्टूबर को ही रहेगा।

इस दिन भक्तजन व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी का पूजन करेंगे। व्रत के दौरान दिनभर फलाहार करने और रातभर जागरण करने की परंपरा भी कही गई है।

देवउठनी एकादशी का महत्व

देवउठनी एकादशी कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी से जो चातुर्मास का समय प्रारंभ होता है, उसका समापन इसी दिन होता है। चातुर्मास के दौरान भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं और देवउठनी एकादशी पर वे योगनिद्रा से जागृत होकर भक्तों का कल्याण करते हैं।

इस व्रत को करने से साधक के जीवन से सभी दुख और कष्ट दूर होते हैं। ऐसा विश्वास है कि देवउठनी एकादशी के दिन किए गए दान-पुण्य और पूजा का फल असीमित होता है। इसके साथ ही यह तिथि विवाह, मांगलिक कार्यों और धार्मिक अनुष्ठानों के शुभारंभ की दृष्टि से भी विशेष मानी जाती है। इसी कारण इसके अगले दिन तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है।

देवउठनी एकादशी 2025 की तिथि और मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, वर्ष 2025 में देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी। यह तिथि 1 नवंबर को सुबह 9 बजकर 11 मिनट पर प्रारंभ होगी और 2 नवंबर को सुबह 7 बजकर 31 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, व्रत और पूजन का शुभ समय 1 नवंबर को ही रहेगा।

इस अवसर पर भक्तजन भगवान विष्णु का पूजन करते हैं और विशेष रूप से तुलसी के पौधे को सजाकर उसकी आराधना करते हैं। देवउठनी एकादशी से ही पुनः शुभ कार्यों और विवाह संस्कारों का शुभारंभ होता है।

एकादशी व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान भर नहीं है, बल्कि यह आत्मशुद्धि और जीवन के संतुलन का मार्ग भी है। कार्तिक मास की रमा और देवउठनी एकादशी दोनों ही अपने आप में विशेष महत्व रखती हैं। रमा एकादशी जहां साधक को मां लक्ष्मी की कृपा से भौतिक सुख और संपन्नता प्रदान करती है, वहीं देवउठनी एकादशी भगवान विष्णु के जागरण का प्रतीक बनकर जीवन में धर्म और आध्यात्मिक उत्थान का मार्ग प्रशस्त करती है।

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