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Ekadashi October 2024: रमा एकादशी 2024 कब है, तिथि, पूजा विधि, महत्व और पौराणिक कथा

रमा एकादशी, जिसे कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह साल में दो बार आती है – एक बार वसंत ऋतु में ज्येष्ठ मास में और दूसरी बार शरद ऋतु में कार्तिक मास में। रमा एकादशी को भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आराधना का पवित्र दिन माना जाता है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है, पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। आइए, इस लेख में हम रमा एकादशी 2024 की तिथि, पूजा विधि, महत्व, पौराणिक कथा और इससे जुड़े लाभों को विस्तार से जानें।

Rama Ekadashi 2024

रमा एकादशी 2024 की तिथि और शुभ मुहूर्त (Rama Ekadashi 2024 Date)

2024 में रमा एकादशी का पर्व 28 अक्टूबर, सोमवार को पड़ रहा है।

एकादशी तिथि शुरू : 27 अक्टूबर सुबह 5:24 मिनट पर

एकादशी तिथि समाप्त : 28 अक्टूबर सुबह 7:50 मिनट पर

रमा एकादशी की पूजा विधि (Rama Ekadashi 2024 Puja Vidhi)

रमा एकादशी के व्रत को विधि-विधान से करने से ही आपको शुभ फल प्राप्त होंगे। आइए, जानें इस व्रत को करने की सरल पूजा विधि:

  1. दशमी तिथि को सूर्यास्त से पहले स्नान कर साफ और धुले हुए वस्त्र धारण करें।
  2. अपने पूजा स्थान को साफ करके गंगाजल से शुद्ध करें।
  3. आसन बिछाकर भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें।
  4. दीप प्रज्वलित करें और धूप-बत्ती लगाएं।
  5. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी को पुष्प, फल और मिठाई का भोग अर्पित करें।
  6. पंचामृत से उनका अभिषेक करें।
  7. “ॐ नमो नारायणाय” या “ॐ श्रीं महालक्ष्मीये नमः” मंत्र का जाप करें।
  8. भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की आरती करें।
  9. रात्रि जागरण करें और भजन-कीर्तन का आयोजन करें।
  10. अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद पारण (व्रत का समापन) करें।

ध्यान दें कि उपरोक्त विधि एक सामान्य मार्गदर्शिका है। आप अपने क्षेत्र के विद्वान पंडित या धर्मगुरु से सलाह लेकर विधि में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं।

रमा एकादशी का महत्व (Rama Ekadashi 2024 Significance)

रमा एकादशी का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। आइए, रमा एकादशी के महत्व को विस्तार से जानें:

  • मोक्ष की प्राप्ति: रमा एकादशी का व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है। भगवान विष्णु इस व्रत से प्रसन्न होकर अपने भक्तों को मोक्ष का वरदान देते हैं।
  • पापों का नाश: इस पवित्र व्रत को करने से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। इससे व्यक्ति को आत्मिक शुद्धि प्राप्त होती है और मन को शांति मिलती है।
  • धन-धान्य और वैभव की प्राप्ति: रमा एकादशी को देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है। देवी लक्ष्मी धन और समृद्धि की देवी हैं। उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में धन-धान्य और वैभव की प्राप्ति होती है।
  • स्वास्थ्य लाभ: रमा एकादशी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करने और व्रत रखने से शरीर भी शुद्ध होता है। इससे रोगों से छुटकारा मिलता है और स्वास्थ्य लाभ होता है।
  • परिवारिक सुख: रमा एकादशी के व्रत से पारिवारिक कलह दूर होती है और घर में सुख-शांति का वातावरण बनता है।
  • पूर्वजों का आशीर्वाद: इस दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा करने से पूर्वजों को भी तृप्ति मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।

रमा एकादशी की पौराणिक कथा (Rama Ekadashi Katha)

रमा एकादशी की पौराणिक कथा भगवान विष्णु के महत्व को दर्शाती है। आइए, इस कथा को विस्तार से जानें:

पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु के धाम क्षीर सागर में पहुंचे। भगवान विष्णु उस समय देवी लक्ष्मी के साथ विश्राम कर रहे थे। देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से पूछा कि मनुष्यों को किस प्रकार पूजा करने से आप सबसे अधिक प्रसन्न होते हैं।

भगवान विष्णु ने मुस्कुराते हुए कहा, “हे नारद! कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रमा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन व्रत रखने और विधि-विधान से मेरी और देवी लक्ष्मी की पूजा करने से मैं अत्यंत प्रसन्न होता हूं।”

यह सुनकर देवर्षि नारद ने भगवान विष्णु से रमा एकादशी के व्रत की विधि पूछी। भगवान विष्णु ने उन्हें विधि बताई और कहा कि इस व्रत को करने वाले भक्तों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

देवर्षि नारद ने धरती पर लौटकर सभी लोगों को रमा एकादशी के महत्व के बारे में बताया। तब से, हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को लोग रमा एकादशी का व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु व देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

रमा एकादशी का उपवास कैसे तोड़ें (How to break the fast of Rama Ekadashi)

रमा एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि पर सूर्योदय के बाद तोड़ा जाता है। पारण करने की विधि इस प्रकार है:

  • सूर्योदय के बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें।
  • भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा करें।
  • सबसे पहले थोड़ा सा गाय का दूध या फल का सेवन करें।
  • इसके बाद आप सात्विक भोजन ग्रहण कर सकते

रमा एकादशी का व्रत किन लोगों को नहीं करना चाहिए

कुछ स्थितियों में रमा एकादशी का व्रत करना कठिन हो सकता है। आइए, जानें किन लोगों को इस व्रत का पालन नहीं करना चाहिए:

  • बच्चे और वृद्धजन: बच्चों और वृद्धजनों के लिए निर्जला या कठिन व्रत रखना उनकी सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है। उनकी क्षमता के अनुसार ही व्रत रखने की सलाह दी जाती है।
  • गर्भवती और स्त्री रोग से पीड़ित महिलाएं: गर्भवती महिलाओं और स्त्री रोग से पीड़ित महिलाओं को भी कठिन व्रत रखने से बचना चाहिए।
  • बीमार व्यक्ति: यदि आप किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह के बिना व्रत न रखें।

यदि आप उपरोक्त में से किसी भी श्रेणी में आते हैं तो आप फलाहार का सेवन कर सकते हैं या अपनी क्षमता के अनुसार व्रत रख सकते हैं।

उपसंहार

रमा एकादशी भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का पवित्र अवसर है। इस दिन व्रत रखने और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है, पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। यदि आप आध्यात्मिक उन्नति चाहते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाना चाहते हैं तो रमा एकादशी का व्रत अवश्य रखें।

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