Prasanna Vadanam Shloka| “प्रसन्नवदनां” श्लोक का अर्थ | जानिए यह श्लोक किसे समर्पित है | क्या है इसके लाभ

Prasanna Vadanam Shloka Meaning: सोशल मीडिया पर इन दिनों वायरल हो रहा ‘प्रसन्नवदनां’ श्लोक आखिर किसको समर्पित है, आइए जानते हैं इसका पूरा स्वरूप और अर्थ। श्लोक केवल संस्कृत की कविताएं भर नहीं होते, बल्कि ये पवित्र और शक्तिशाली ध्वनियों का अद्भुत संगम हैं। जब इन्हें सही उच्चारण के साथ पढ़ा या गाया जाता है, तो ये मन, आत्मा और वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। इनके प्रभाव से न केवल पूजा-अर्चना सफल होती है, बल्कि ये मानसिक शांति, शारीरिक संतुलन और बुरी शक्तियों से रक्षा भी प्रदान करते हैं।

हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक विशेष म्यूजिक ट्रेंड कर रहा है, जो एक ऐसे श्लोक पर आधारित है जिसे सुनते ही मन थम-सा जाता है। इसकी धुन और शब्द मन में गहरी शांति और नई ऊर्जा का संचार करते हैं, जिससे इसे बार-बार सुनने और पढ़ने का मन करता है। यह कोई साधारण श्लोक नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी की महिमा का वर्णन करने वाला पावन स्तोत्र है। इसका नियमित स्मरण और जाप करने से मन को शांति, घर में धन-धान्य की वृद्धि, सौंदर्य, ऐश्वर्य और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

Prasanna Vadanam Shloka Meaning

क्या है पूरा श्लोक? (Prasanna-vadanāṃ saubhagya lyrics)

“वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां

हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्।

भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां

पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः॥”

“प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां” श्लोक का अर्थ (Prasanna vadanam shloka meaning)

वन्दे पद्मकरां प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां भाग्यदां

मैं उस माँ लक्ष्मी को नमन करता हूँ, जिनके करकमलों में सुंदर कमल सुशोभित है, जिनके मुखमंडल पर सदैव मधुर मुस्कान खिली रहती है और जो अपने भक्तजनों को सौभाग्य एवं समृद्धि का वरदान प्रदान करती हैं।

हस्ताभ्यां अभयप्रदां मणिगणैर्नानाविधैर्भूषिताम्

उनके करकमल आशीर्वाद की मुद्रा में उठे हुए हैं, जो सभी प्रकार के भय का नाश करते हैं। वे बहुमूल्य रत्नों और आलंकारिक आभूषणों से अलंकृत होकर अद्वितीय दिव्यता बिखेर रही हैं।

भक्ताभीष्टफलप्रदां हरिहरब्रह्मादिभिः सेवितां

वे अपने श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली करुणामयी देवी हैं। यहां तक कि ब्रह्मा, विष्णु और महादेव जैसे देवता भी उनकी सेवा और स्तुति में निरंतर संलग्न रहते हैं।

पार्श्वे पंकजशंखपद्मनिधिभिर्युक्तां सदा शक्तिभिः

माँ लक्ष्मी सदैव शंख, कमल, बहुमूल्य रत्नों और अपनी दिव्य शक्तियों से अलंकृत होकर विराजमान रहती हैं। वे हर क्षण अपने भक्तों को सुख, शांति और समृद्धि का आशीर्वाद प्रदान करने के लिए तत्पर रहती हैं।

“प्रसन्नवदनां” श्लोक क्यों है इतना लोकप्रिय?

‘प्रसन्नवदनां’ श्लोक की मधुर लय, कोमल ध्वनि और गहन भावनाएं इतनी मनमोहक हैं कि यह सीधे हृदय और आत्मा को स्पर्श करती हैं। यही कारण है कि आजकल लोग इसे अपनी सुबह की शुरुआत में सुनना पसंद करते हैं, वहीं कई लोग ध्यान व साधना के समय इसका जाप कर मानसिक शांति का अनुभव करते हैं।

इस श्लोक में केवल शब्द नहीं, बल्कि एक दिव्य तरंग (वाइब्रेशन) निहित है। जब इसे श्रद्धा और सही उच्चारण के साथ बोला जाता है, तो यह वातावरण की नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

“प्रसन्नवदनां सौभाग्यदां” श्लोक रोजाना जाप के लाभ

मां लक्ष्मी को अर्पित यह पावन श्लोक पूजा-अर्चना में तो बोला ही जाता है, साथ ही इसे रोजाना सुबह उठते ही या रात को सोने से पहले सुनना अथवा पढ़ना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इससे मन में गहरी शांति का भाव उत्पन्न होता है, आत्मविश्वास बढ़ता है और जीवन में सुख-समृद्धि का प्रवाह होता है।

विशेष रूप से यह श्लोक उन लोगों के लिए अत्यंत उपयोगी है जो आर्थिक कठिनाइयों, मानसिक दबाव या आंतरिक असंतुलन से गुजर रहे हों, क्योंकि इसका नियमित जाप जीवन में स्थिरता और सकारात्मकता लाता है।

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