Pitru Paksh 2025 Date: पितृ पक्ष पूरी तरह से हमारे पूर्वजों को समर्पित एक विशेष अवधि है। इस समय श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान करने की परंपरा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। मान्यता है कि पितृ पक्ष के दौरान हमारे पितर धरती पर अवतरित होते हैं और अपने परिवारजनों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस काल में किए गए श्राद्ध से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष भी कहा जाता है, क्योंकि इसका मुख्य उद्देश्य अपने पूर्वजों का स्मरण करना और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करना है। इस अवसर पर किए गए कर्मकांड न केवल आत्मिक शांति प्रदान करते हैं बल्कि पारिवारिक समृद्धि और कल्याण का मार्ग भी खोलते हैं। इस वर्ष पितृ पक्ष (Pitru Paksha 2025) की शुरुआत को लेकर लोगों में थोड़ी उलझन है कि यह 6 सितंबर से प्रारंभ होगा या 7 सितंबर से। आइए विस्तार से जानते हैं कि इस बार पितृ पक्ष कब से शुरू होने जा रहा है और इसके नियम क्या कहे गए हैं।
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत कब होगी – 6 या 7 सितंबर? (Pitru Paksha Date And Time)
हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि 07 सितंबर 2025 को प्रातःकाल 01 बजकर 41 मिनट पर आरंभ होगी और उसी दिन रात 11 बजकर 38 मिनट तक रहेगी। पंचांग की गणना के आधार पर यह स्पष्ट है कि पितृ पक्ष की शुरुआत 07 सितंबर 2025 से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा। इस अवधि में श्राद्ध, तर्पण और पिंडदान जैसे धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व माना गया है।
पितृ पक्ष का महत्व (Pitru Paksha 2025 Significance)
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष में श्राद्ध करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और वे प्रसन्न होकर अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। इस समय किए गए तर्पण, दान और पुण्य कार्य न केवल पूर्वजों की आत्मा की शांति का माध्यम बनते हैं बल्कि परिवार में सुख, शांति और समृद्धि भी लाते हैं। माना जाता है कि इस दौरान किए गए अनुष्ठान से पितृ दोष समाप्त हो जाता है और जीवन से संबंधित कई तरह की बाधाएँ दूर हो जाती हैं। इसलिए पितृ पक्ष को पूर्वजों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का सर्वोत्तम अवसर माना गया है।
पितृ पक्ष श्राद्ध के नियम (Pitru Paksha 2025 Shraadh Niyam)
पितृ पक्ष के पावन दिनों में कुछ विशेष नियमों का पालन करना अनिवार्य माना गया है। इस अवधि में प्रतिदिन प्रातः स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण करने के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तर्पण करना चाहिए। तर्पण के समय जल में काले तिल और पुष्प मिलाकर पितरों को अर्पित करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। श्राद्ध तिथि पर किसी योग्य ब्राह्मण को घर बुलाकर श्रद्धापूर्वक भोजन कराना शुभ कर्म माना गया है। भोजन में खीर, पूड़ी और पितरों की प्रिय मानी जाने वाली वस्तुएँ अवश्य सम्मिलित करनी चाहिए।
श्राद्ध कर्म के बाद जरूरतमंदों और असहाय लोगों को यथाशक्ति दान देना भी अत्यंत पुण्यकारी होता है। पितृ पक्ष के पूरे 15 दिनों में घर में केवल सात्विक भोजन ही बनाया जाता है। इस अवधि में लहसुन, प्याज और मांसाहारी भोजन का पूर्ण रूप से परित्याग करना चाहिए। साथ ही घर-आंगन और मन दोनों को स्वच्छ और पवित्र बनाए रखना आवश्यक है, क्योंकि इस दौरान पूर्वजों की आत्मा को आमंत्रित कर उन्हें श्रद्धा और आदर से तर्पण किया जाता है।
पितृ पक्ष तर्पण मंत्र
- ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
- ॐ पितृ देवतायै नम:
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
- ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
पितृ पक्ष में क्या करें? (Pitru Paksha 2025 Dos)
पितृ पक्ष के दौरान अपने पूर्वजों की स्मृति में श्राद्ध करना सबसे प्रमुख कार्य माना गया है। जिस तिथि पर आपके पितरों का निधन हुआ था, उसी तिथि पर उनका श्राद्ध करना अत्यंत फलदायी होता है। श्राद्ध के दौरान पिंडदान, तर्पण और ब्राह्मण भोज की परंपरा का पालन अवश्य करना चाहिए। तर्पण की विधि में जल, काले तिल और जौ का उपयोग करके पितरों को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। यह तर्पण प्रतिदिन करने से पूर्वजों की आत्मा को तृप्ति और शांति मिलती है।
श्राद्ध तिथि पर ब्राह्मणों को ससम्मान भोजन कराना सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। यदि किसी कारणवश ब्राह्मण उपलब्ध न हों, तो किसी जरूरतमंद व्यक्ति, गौ या जीव-जंतु को भोजन कराना भी उतना ही पुण्यकारी है। पितृ पक्ष के दौरान दान का विशेष महत्व है। इस समय अन्न, वस्त्र, जूते और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ दान करने से पितरों की आत्मा प्रसन्न होती है और वे अपने वंशजों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं। साथ ही घर के वातावरण को पवित्र और सात्विक बनाए रखना चाहिए। साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देकर पूर्वजों के प्रति सम्मान और श्रद्धा प्रकट करनी चाहिए।
पितृ पक्ष में क्या न करें? (Pitru Paksha 2025 Donts)
पितृ पक्ष में कुछ ऐसे नियम भी बताए गए हैं जिनका पालन करना आवश्यक है। इस अवधि में तामसिक भोजन, विशेषकर मांस, मदिरा और नशीले पदार्थों का सेवन पूर्णतः वर्जित है। इसके अतिरिक्त विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश, नए व्यापार की शुरुआत या किसी भी प्रकार के शुभ कार्य करने की मनाही होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पितृ पक्ष के 15 दिनों में बाल और नाखून काटने से भी बचना चाहिए।
इसी तरह नए कपड़े, गहने या कोई भी नई वस्तु खरीदना अशुभ माना जाता है। भोजन में लहसुन और प्याज का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इसे तामसिक आहार की श्रेणी में रखा गया है। इस समय घर का वातावरण शांत और सौम्य होना चाहिए। किसी प्रकार का झगड़ा, विवाद या ऊँची आवाज़ में बोलना पितरों के प्रति अनादर माना जाता है। इसलिए पितृ पक्ष में संयमित रहकर, सात्विक आचरण करते हुए पूर्वजों के लिए श्रद्धा और सम्मान बनाए रखना चाहिए।
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FAQs
पितृ पक्ष 2025 कब से कब तक है?
पितृ पक्ष 2025 की शुरुआत 07 सितंबर से होगी और इसका समापन 21 सितंबर 2025 को होगा।
पितृ पक्ष में क्या खाना और क्या नहीं खाना चाहिए?
पितृ पक्ष में सात्विक भोजन करना चाहिए। प्याज, लहसुन और मांसाहार का सेवन वर्जित है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध कैसे किया जाता है?
प्रातः स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर मुख करके जल और तिल से तर्पण किया जाता है। इसके बाद ब्राह्मण भोजन कराना और जरूरतमंदों को दान देना श्राद्ध का प्रमुख अंग है।
पितृ पक्ष में श्राद्ध करने का क्या महत्व है?
श्राद्ध करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है, पितृ दोष का निवारण होता है और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है।