You are currently viewing Pithori Amavasya 2024: पिठौरी अमावस्या कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

Pithori Amavasya 2024: पिठौरी अमावस्या कब है, तिथि, पूजा विधि और महत्व

हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है। हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के बाद अमावस्या तिथि आती है। इस दिन चंद्रमा पूरी तरह अदृश्य हो जाता है। माना जाता है कि इस दिन पितृलोक का पृथ्वी लोक से संबंध मजबूत होता है। अतः इस दिन पितरों को श्रद्धांजलि देने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए विशेष पूजा-अनुष्ठान किए जाते हैं। वर्ष में दो बार वैशाख और भाद्रपद माह में आने वाली अमावस्या को क्रमशः पिठौरी अमावस्या और अग्रहायण अमावस्या के नाम से जाना जाता है।

Pithori Amavasya 2024

2024 में पिठौरी अमावस्या कब है? (Pithori Amavasya 2024 Date)

वर्ष 2024 में पिठौरी अमावस्या 2 सितम्बर को पड़ रही है।

तिथि और समय (Pithori Amavasya 2024 Tithi)

  • अमावस्या तिथि प्रारंभ: 1 सितम्बर 2024, शाम 04:22 बजे
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 2 सितम्बर 2024, शाम 06:21 बजे

पिठौरी अमावस्या का महत्व (Pithori Amavasya Importance)

पिठौरी अमावस्या का हिंदू धर्म में कई तरह का महत्व है। आइए जानते हैं इस दिन के प्रमुख महत्वों के बारे में –

1. पितरों का तर्पण

पिठौरी अमावस्या का सबसे महत्वपूर्ण महत्व पितरों का तर्पण करना है। इस दिन लोग अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं और उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया तर्पण सीधे पितरों तक पहुंचता है और उन्हें संतुष्टि प्रदान करता है।

2. स्नान-दान का पुण्य

पिठौरी अमावस्या के दिन पवित्र नदियों में स्नान करना और दान करना अत्यंत शुभ माना जाता है। गंगा, यमुना, सरयू जैसी पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के पाप धुल जाते हैं और पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही, इस दिन गरीबों और जरूरतमंदों को दान करने से भी पुण्य फल प्राप्त होता है।

3. कुश ग्रह का निर्माण

वैशाख अमावस्या के दिन कुश ग्रह का निर्माण करना भी महत्वपूर्ण माना जाता है। कुश की पवित्रता सर्वविदित है। कुश से निर्मित ग्रह को पितरों को समर्पित किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इससे पितृ ऋण से मुक्ति मिलती है और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

पिठौरी अमावस्या की पूजा विधि (Pithori Amavasya Puja Vidhi)

पिठौरी अमावस्या पर पितरों का तर्पण करने और पूजा करने की एक विधि है। आइए जानते हैं इस दिन की पूजा विधि के बारे में –

  1. सूर्योदय से पहले उठें और स्नान करें। इस दिन स्नान करने का विशेष महत्व है। स्नान के लिए गंगाजल का प्रयोग उत्तम माना जाता है।
  2. च्छ वस्त्र पहनें और पूजा स्थल को साफ करें। पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करें और आसन बिछाएं।
  3. भगवान सूर्य और पितरों की प्रतिमा स्थापित करें। आप चाहें तो पूर्वजों की तस्वीरें भी रख सकते हैं।
  4. दीप प्रज्वलित करें और धूप-बत्ती लगाएं। शुद्ध घी का दीप जलाएं और सुगंधित धूप जलाएं।
  5. फल, फूल और जल अर्पित करें। भगवान सूर्य और पितरों को तिल, जौ और कुश के साथ जल अर्पित करें। साथ ही, मौसमी फल और फूल भी चढ़ाएं।
  6. पितरों के मंत्रों का जाप करें। “ॐ पितृदेवाय नमः” या “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय सर्वपितृदेवातात्मने महादेवाय सर्वभूतात्मने तस्मै श्रीः पिनाकाय सर्वेश्वराय नमः” जैसे मंत्रों का जाप करें।
  7. तर्पण करें और दान करें। जल, तिल और कुश लेकर पितरों का तर्पण करें। साथ ही, गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
  8. बाद में, भोजन ग्रहण करें। ब्राह्मण भोजन कराने का विधान है। यदि संभव न हो तो घर में ही सात्विक भोजन ग्रहण करें।

शुभ मुहूर्त (Pithori Amavasya 2024 Shubh Muhurat)

पिठौरी अमावस्या पर शुभ मुहूर्त में पूजा करने से विशेष फल प्राप्त होता है।

  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:45 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
  • विजय मुहूर्त: दोपहर 2:30 बजे से 3:15 बजे तक
  • ध्रुव मुहूर्त: शाम 04:45 बजे से 05:30 बजे तक

यदि आप इन शुभ मुहूर्तों में पूजा नहीं कर पा रहे हैं, तो आप पूरे दिन में किसी भी समय पूजा कर सकते हैं।

पिठौरी अमावस्या से जुड़ी कथा

यम और सवर्णी की कथा (Pithori Amavasya Katha)

एक अन्य कथा के अनुसार, यमराज की बहन सवर्णी को पुत्र प्राप्ति की इच्छा थी। यमराज ने उन्हें बताया कि उन्हें पिठौरी अमावस्या के दिन व्रत रखना चाहिए और पवित्र नदी में स्नान करना चाहिए। सवर्णी ने ऐसा ही किया और उन्हें पुत्र प्राप्ति का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

इन कथाओं से स्पष्ट होता है कि पिठौरी अमावस्या के दिन किए गए श्राद्ध और दान से पितरों को संतुष्टि मिलती है और उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है। के पवित्र अवसर का लाभ उठा सकते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं।

पिठौरी अमावस्या के व्रत का महत्व (Pithori Amavasya Significance)

कुछ लोग पिठौरी अमावस्या के दिन व्रत भी रखते हैं। इस व्रत का पालन करने से व्यक्ति को कई लाभ प्राप्त होते हैं।

  • पितृदोष से मुक्ति मिलती है।
  • पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
  • पुण्य फल की प्राप्ति होती है।
  • मन को शांति मिलती है।

यदि आप व्रत रखना चाहते हैं तो सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और संकल्प लें। पूरे दिन सात्विक भोजन का सेवन करें। शाम को सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान कर के पारण करें।

उपसंहार

पिठौरी अमावस्या हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन पितरों का स्मरण कर उनका तर्पण किया जाता है। दान करने और स्नान करने का भी विशेष महत्व है। सूर्यग्रहण के दौरान कुछ सावधानी बरतते हुए आप इस पवित्र अवसर का लाभ उठा सकते हैं और अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि अर्पित कर सकते हैं। उम्मीद है कि यह लेख आपको पिठौरी अमावस्या के महत्व और पूजा विधि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है।

Leave a Reply