भगवद गीता अध्याय 3 श्लोक 17 की गूढ़ व्याख्या: कर्म से परे आत्म-संतुष्टि का मार्ग | यस्त्वात्मरतिरेव स्यादात्मतृप्तश्र्च मानवः
श्रीमद् भागवत गीता अध्याय 3 श्लोक 17 (Bhagavat Geeta Adhyay 3 Shloka 17 in Hindi): भगवद गीता का अध्याय 3 ‘कर्मयोग’ के नाम से प्रसिद्ध है, जहाँ श्रीकृष्ण कर्म और उसकी गूढ़ता को समझाते हैं। इस अध्याय का श्लोक 17 विशेष रूप से उस अवस्था की बात करता है जहाँ मनुष्य को बाह्य कर्म की आवश्यकता … Read more