Last Updated: 30th September, 2025
नवमी के दिन देवी दुर्गा के किस स्वरूप की पूजा जाती है? (Navratri 9th Day 2025) : नवरात्रि का नौवां दिन जिसे महानवमी या दुर्गा नवमी भी कहा जाता है, अत्यंत पवित्र और विशेष माना जाता है। पूरे भारतवर्ष में इस दिन को माँ दुर्गा की अंतिम शक्ति स्वरूप की उपासना का दिन समझा जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों की साधना में यह अंतिम चरण होता है, जहाँ साधक अपनी आराधना को पूर्णता की ओर ले जाता है। इस दिन माँ दुर्गा के नौवें स्वरूप माँ सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। सिद्धिदात्री का अर्थ है – “सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी”। शास्त्रों के अनुसार देवी के इस स्वरूप की उपासना से भक्त को आठों प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती हैं और जीवन के समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है।

माँ सिद्धिदात्री को नवरात्रि की चरम साधना का प्रतीक माना गया है। जब भक्त नौ दिनों तक निरंतर तप, उपवास और ध्यान के माध्यम से अपनी आत्मा को शुद्ध करता है, तब नवमी के दिन उसे माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह दिन केवल शक्ति-उपासना का नहीं, बल्कि आत्मज्ञान, सिद्धि और मोक्ष की प्राप्ति का प्रतीक माना गया है।
नवरात्रि के नौवें दिन मां दुर्गा के किस रूप की होती है पूजा? (Navratri 9th Day Devi Name)
नवरात्रि के नौवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा होती है। देवी सिद्धिदात्री ब्रह्मांड की अधिष्ठात्री मानी जाती हैं, जो भक्तों को सिद्धि, ज्ञान, और शक्ति प्रदान करती हैं। उनका स्वरूप अति दिव्य और करुणामयी बताया गया है। देवी पुराण और मार्कंडेय पुराण के अनुसार माँ सिद्धिदात्री भगवान शिव को भी वरदान स्वरूप सिद्धियाँ प्रदान करती हैं। यही कारण है कि महादेव ने अर्धनारीश्वर रूप प्राप्त किया और सभी देवताओं को दिव्य शक्तियाँ मिलीं।

माँ सिद्धिदात्री कमल पर विराजमान होती हैं और सिंह या कमलासन पर बैठी चार भुजाओं वाली देवी के रूप में पूजी जाती हैं। उनके हाथों में चक्र, गदा, शंख और कमल होता है। माँ के इस स्वरूप की आराधना करने से भक्त की सभी इच्छाएँ पूर्ण होती हैं और उसे अलौकिक शक्ति की प्राप्ति होती है।
नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री का प्रिय भोग (Navratri 9th Day Bhog)
नवरात्रि के नौवें दिन जब माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, तब उन्हें तिल और नारियल का भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अतिरिक्त उन्हें हलवा-पूरी, चना और खीर भी प्रिय है। भक्त इस दिन कन्या पूजन कर उन्हें यह प्रसाद अर्पित करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मान्यता है कि माँ सिद्धिदात्री को मीठे व्यंजन अत्यधिक प्रिय हैं। विशेष रूप से नारियल और तिल का भोग अर्पित करने से साधक को रोग, दोष और बाधाओं से मुक्ति मिलती है। घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। कुछ स्थानों पर भक्तजन माँ को लाल या गुलाबी रंग की मिठाइयाँ भी अर्पित करते हैं, जो प्रेम और शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं।
माँ सिद्धिदात्री का प्रिय रंग और उसका महत्व (Navratri 9th Day Colour)
नवरात्रि के नौवें दिन का रंग बैंगनी (Purple) या नीला माना जाता है। यह रंग शांति, अध्यात्म और गहराई का प्रतीक है। बैंगनी रंग को भक्ति, ध्यान और अलौकिक शक्तियों से जोड़ा जाता है।
माँ सिद्धिदात्री का संबंध सिद्धियों और अलौकिक शक्तियों से है, इसलिए उनके दिन का रंग भी अध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने वाला माना गया है। भक्त इस दिन इसी रंग के वस्त्र पहनकर देवी की पूजा करते हैं। मान्यता है कि इस रंग को धारण करने से मन में स्थिरता आती है, ध्यान-योग में सफलता मिलती है और साधना की ऊर्जा बढ़ती है।
नवरात्रि में माँ सिद्धिदात्री की पूजा विधि (Navratri 9th Day Puja Vidhi)
नवरात्रि के नौवें दिन की पूजा विधि अत्यंत महत्व रखती है। इस दिन सुबह स्नानादि कर घर और पूजा स्थल को स्वच्छ किया जाता है। देवी के स्थान पर माँ सिद्धिदात्री की प्रतिमा या चित्र स्थापित कर विधिवत पूजन किया जाता है।
भक्त शुद्ध मन से कलश पूजन, दीप प्रज्ज्वलन और दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। इसके बाद पुष्प, धूप, दीप, अक्षत और नैवेद्य अर्पित किए जाते हैं। माँ को विशेष रूप से नारियल, तिल और हलवे का भोग लगाना शुभ माना जाता है।
एक महत्वपूर्ण परंपरा इस दिन कन्या पूजन की भी है। नौ कन्याओं और एक छोटे बालक को घर बुलाकर उनके चरण धोए जाते हैं, उन्हें भोजन कराया जाता है और उपहार दिए जाते हैं। मान्यता है कि यह कन्याएँ ही माँ दुर्गा का स्वरूप हैं और इनकी सेवा करने से माँ अत्यंत प्रसन्न होती हैं।

नवरात्रि में नवमी का महत्व
नवरात्रि का नौवां दिन आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह दिन न केवल दुर्गा उपासना का चरम है, बल्कि जीवन में आत्मज्ञान और पूर्णता प्राप्त करने का प्रतीक भी है।
भक्त मानते हैं कि इस दिन माँ सिद्धिदात्री की कृपा से व्यक्ति के जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयाँ समाप्त हो जाती हैं। साधक को सिद्धियाँ और सफलताएँ प्राप्त होती हैं। शास्त्रों में उल्लेख है कि जो भक्त नवमी के दिन सच्चे मन से माँ की पूजा करता है, उसे समस्त लोकों में सम्मान प्राप्त होता है और अंततः मोक्ष की प्राप्ति होती है।
महानवमी को ही महिषासुर मर्दिनी दुर्गा का विजयोत्सव भी माना जाता है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है। इसलिए इस दिन विशेष अनुष्ठान, यज्ञ और हवन का आयोजन भी किया जाता है।
माँ सिद्धिदात्री मंत्र और श्लोक (Navratri 9th Day Mantra)
माँ सिद्धिदात्री की आराधना में विशेष मंत्र और श्लोक का जाप करना शुभ माना गया है। इन मंत्रों के उच्चारण से साधक को दिव्य ऊर्जा और आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री मूल मंत्र:
“ॐ देवी सिद्धिदात्र्यै नमः।”
इस मंत्र का जप नवमी तिथि पर 108 बार करने से भक्त को सिद्धियों की प्राप्ति होती है।
माँ सिद्धिदात्री ध्यान मंत्र:
“सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥”
इस श्लोक का पाठ करते हुए भक्त माँ सिद्धिदात्री का ध्यान करते हैं।
नवरात्रि का नौवां दिन यानी महानवमी साधना और भक्ति का चरम माना गया है। यह केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मा की शुद्धि और ईश्वर से जुड़ने का माध्यम है। इस दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा कर भक्त सिद्धि, शक्ति, और मोक्ष की प्राप्ति करते हैं।
भक्त यदि पूरे नियम, श्रद्धा और भक्ति भाव से नवमी के दिन माँ की आराधना करें तो जीवन में समस्त दुख दूर होकर सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि नवरात्रि का नौवां दिन भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व में बसे हिंदुओं के लिए अत्यंत श्रद्धेय और पूजनीय है।
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