Last Updated: 29th September 2025
Shardiya Navratri 8th Day 2025 :भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में नवरात्रि का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह पर्व केवल देवी दुर्गा की भक्ति का ही नहीं, बल्कि शक्ति, साधना, आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रतीक है। नवरात्रि में नौ दिनों तक माँ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की आराधना की जाती है। प्रत्येक दिन का अपना एक विशेष महत्व और साधना विधि होती है। इस क्रम में नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी को समर्पित है।

माँ महागौरी शांति, सौंदर्य, करुणा और पवित्रता की प्रतीक मानी जाती हैं। उनका स्वरूप भक्तों को मोहित कर लेने वाला और पूर्णतः कल्याणकारी है। इस दिन को अष्टमी तिथि के कारण विशेष रूप से ‘दुर्गा अष्टमी’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन की पूजा का धार्मिक, आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व अद्वितीय है। आइए विस्तार से जानते हैं –
नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के किस रूप की होती है पूजा? (Navratri 8th Day Devi Name)
आठवें दिन माँ दुर्गा के आठवें स्वरूप माँ महागौरी की पूजा की जाती है। उनका स्वरूप अत्यंत शांत, सौम्य और दिव्य है।
- माँ महागौरी का रंग श्वेत (दूध के समान) है, जो शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक है।
- उनके चार हाथ हैं। वे दाहिने हाथ में त्रिशूल धारण करती हैं और बाएँ हाथ में डमरू। अन्य दो हाथ वरमुद्रा और अभयमुद्रा में हैं।
- वे वृषभ (बैल) पर सवार रहती हैं, इसलिए इन्हें ‘वृषारूढ़ा’ भी कहा जाता है।
माँ महागौरी का स्वरूप यह दर्शाता है कि
नवरात्रि के आठवें दिन का स्वरूप
नवरात्रि का आठवां दिन साधना और भक्ति का चरम बिंदु माना जाता है। सात दिनों की साधना के बाद भक्त का मन और आत्मा पूरी तरह शुद्ध हो जाते हैं, और आठवें दिन साधना का फल प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त होता है। इस दिन माँ महागौरी की पूजा करने से भक्त को दिव्य सौंदर्य, शांति और सुख की प्राप्ति होती है।

पौराणिक कथाओं के अनुसार, माँ पार्वती ने कठोर तपस्या करके भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था। कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर अत्यंत काला और कृशकाय हो गया था। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने गंगा जी के जल से उनका शरीर धोया, जिसके बाद वे गौर वर्ण की हो गईं। इसी कारण वे महागौरी के नाम से विख्यात हुईं।
माँ महागौरी का प्रिय भोग (Navratri 8th Day Bhog)
माँ महागौरी के पूजन में सफेद रंग के भोग को विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
- उन्हें नारियल, खीर, मिश्री, दूध और सफेद रंग की मिठाइयाँ अत्यंत प्रिय हैं।
- अष्टमी के दिन कन्या पूजन और उन्हें हलवा, पूड़ी और चने का भोग कराना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
- भक्त जब सच्चे मन से उन्हें सफेद रंग के भोग अर्पित करते हैं, तो वे प्रसन्न होकर अपने भक्तों को सुख, सौभाग्य और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
माँ का कौन-सा रंग प्रिय है और क्यों? (Navratri 8th Day Colour)
माँ महागौरी का प्रिय रंग सफेद है।
- सफेद रंग शांति, पवित्रता, निर्मलता और सात्विकता का प्रतीक है।
- यह रंग इस बात का द्योतक है कि माँ अपने भक्तों के जीवन से सभी पाप और अशुद्धियों को दूर करके उन्हें एक शुद्ध और उज्ज्वल जीवन प्रदान करती हैं।
- इस दिन भक्त प्रायः सफेद वस्त्र धारण करके पूजा करते हैं। इससे मन और आत्मा शांति का अनुभव करते हैं और माँ की कृपा प्राप्त होती है।

माँ महागौरी की पूजा विधि (Navratri 8th Day Puja Vidhi)
माँ महागौरी की पूजा विधि अत्यंत पवित्र और सरल मानी जाती है, लेकिन इसमें भक्त का भाव और श्रद्धा सबसे अधिक महत्व रखता है।
- प्रातः स्नान करके स्वच्छ और सफेद वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को गंगाजल से शुद्ध करके माँ महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
- माँ को शुद्ध जल, अक्षत, रोली, चंदन, धूप, दीप और पुष्प अर्पित करें।
- माँ को सफेद पुष्प और सफेद भोग चढ़ाएँ।
- कन्या पूजन का विशेष महत्व है। छोटी कन्याओं को घर बुलाकर उनके चरण धोकर उन्हें भोजन कराएँ और उपहार दें।
- पूजा के अंत में आरती करें और माँ से अपने जीवन की समस्त बाधाओं और दुखों को दूर करने की प्रार्थना करें।
नवरात्रि के आठवें दिन का महत्व
नवरात्रि का आठवां दिन केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है।
- इस दिन की पूजा से भक्तों के सभी पाप और दोष नष्ट हो जाते हैं।
- माँ महागौरी की कृपा से जीवन में सुख-शांति, वैवाहिक जीवन में सौभाग्य और पारिवारिक समृद्धि प्राप्त होती है।
- यह दिन कन्या पूजन का भी विशेष महत्व रखता है। समाज में कन्याओं को देवी का स्वरूप मानकर उन्हें सम्मानित करना और पूजना, स्त्री के सम्मान और गरिमा का संदेश देता है।
- माँ की उपासना से साधक को आध्यात्मिक उन्नति और आत्मिक शांति प्राप्त होती है।
माँ महागौरी के मंत्र और श्लोक (Navratri 8th Day Mantra)
माँ महागौरी की पूजा में उनके मंत्र और श्लोकों का जाप करने से देवी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।
माँ महागौरी बीज मंत्र:
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे॥
माँ महागौरी पूजा मंत्र:
या देवी सर्वभूतेषु माँ महागौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
माँ महागौरी ध्यान मंत्र:
श्वेते वृषे समारूढा श्वेताम्बरधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥
इन मंत्रों का श्रद्धापूर्वक जाप करने से भक्त के जीवन से समस्त संकट दूर होते हैं और माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
आध्यात्मिक दृष्टि से नवरात्रि के आठवें दिन की साधना
आठवां दिन साधना और आत्मिक उन्नति का प्रतीक है। योगशास्त्र में यह दिन ‘सहस्रार चक्र’ की साधना का सूचक माना जाता है। सहस्रार चक्र का जागरण साधक को मोक्ष और आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
माँ महागौरी साधक के भीतर की अशुद्धियों और अज्ञान को दूर करके उसे दिव्य ज्ञान, पवित्रता और सत्य की ओर ले जाती हैं। इस दिन ध्यान और जप करने से मन की शांति और आत्मिक संतुलन प्राप्त होता है।
नवरात्रि का आठवां दिन माँ महागौरी की पूजा के लिए समर्पित है। उनका स्वरूप करुणा, शांति और सौंदर्य का प्रतीक है। वे भक्तों के जीवन से पाप और दुखों का नाश करके उन्हें सुख, सौभाग्य और समृद्धि प्रदान करती हैं। सफेद रंग का प्रिय होना उनके निर्मल और शुद्ध स्वरूप का प्रतीक है।
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