Shardiya Navratri 6th Day 2025: नवरात्रि का पर्व भारतवर्ष में श्रद्धा, आस्था और भक्ति का अनोखा संगम है। यह नौ दिन शक्ति, साधना और आत्मिक उत्थान के प्रतीक माने जाते हैं। नवरात्रि का प्रत्येक दिन देवी दुर्गा के किसी विशेष स्वरूप की पूजा के लिए निर्धारित है। छठवें दिन माँ कात्यायनी की उपासना की जाती है। इनका स्वरूप अत्यंत तेजस्वी और उग्र माना जाता है, लेकिन वे भक्तों के लिए करुणामयी और कल्याणकारी होती हैं। माँ कात्यायनी की आराधना से साधक को विजय, धर्म की रक्षा और आध्यात्मिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

नवरात्रि के छठवें दिन मां दुर्गा के किस रूप की होती है पूजा? (Navratri 6th Day Devi Name)
नवरात्रि का छठवां दिन शक्ति साधना और विजय प्राप्ति का दिन माना जाता है। यह दिन विशेष रूप से उन भक्तों के लिए फलदायी है जो अपने जीवन की कठिनाइयों, भय और शत्रुओं पर विजय प्राप्त करना चाहते हैं। माँ कात्यायनी की पूजा से साधक को आत्मविश्वास, साहस और निर्णय क्षमता की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो कन्याएँ शीघ्र विवाह की इच्छा रखती हैं, उनके लिए माँ कात्यायनी की उपासना विशेष रूप से फलदायी होती है। ब्रज क्षेत्र में गोपियाँ भी श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए माँ कात्यायनी की पूजा करती थीं। इसीलिए इस दिन की पूजा का संबंध वैवाहिक सुख, प्रेम और दांपत्य जीवन की समृद्धि से भी जोड़ा गया है।
माँ कात्यायनी का स्वरूप
माँ कात्यायनी दुर्गा के छठे स्वरूप के रूप में पूजित हैं। शास्त्रों के अनुसार ऋषि कात्यायन के तप और साधना से देवी ने उनके घर पुत्री रूप में जन्म लिया था, इसी कारण उनका नाम कात्यायनी पड़ा। देवी ने महिषासुर जैसे महादैत्य का वध कर देवताओं को उनके आतंक से मुक्ति दिलाई थी। इस प्रकार वे धर्म की रक्षा और असुर विनाशिनी के रूप में जानी जाती हैं।
माँ कात्यायनी का स्वरूप दिव्य और अत्यंत तेजमय है। वे सिंह पर सवार रहती हैं और उनके चार हाथ हैं। उनके एक हाथ में तलवार है जो साहस और शक्ति का प्रतीक है, दूसरे हाथ में कमल है जो शांति और पवित्रता का द्योतक है। एक हाथ से वे अभय मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं और दूसरे हाथ से वर प्रदान करती हैं। उनका स्वरूप भक्तों को भयमुक्त करता है और आत्मबल प्रदान करता है।
माँ कात्यायनी का प्रिय रंग और उसका महत्व (Navratri 6th Day Colour)
नवरात्रि के छठे दिन का विशेष रंग लाल माना जाता है। लाल रंग शक्ति, साहस, विजय और जोश का प्रतीक है। यह रंग ऊर्जा और आत्मविश्वास का संचार करता है। देवी कात्यायनी उग्र स्वरूप में पूजित हैं, इसलिए उन्हें लाल रंग अति प्रिय है।
भक्त इस दिन लाल वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं और लाल पुष्प, जैसे कि गुड़हल और कुमकुम से देवी का श्रृंगार करते हैं। लाल रंग से सजावट करने पर साधक को ऊर्जा और जीवन में सकारात्मकता मिलती है। यह रंग भौतिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर साधक को दृढ़ बनाता है और हर कठिन परिस्थिति का सामना करने का सामर्थ्य प्रदान करता है।

नवरात्रि में माँ कात्यायनी को प्रिय भोग (Navratri 6th Day Bhog)
माँ कात्यायनी को भोग के रूप में शहद अर्पित करना सबसे शुभ माना गया है। शास्त्रों में वर्णन है कि देवी को शहद प्रिय है और उन्हें शहद चढ़ाने से साधक के जीवन में मधुरता और समृद्धि आती है। इसके अलावा भक्त उन्हें गुड़, मालपुआ, हलवा और चने की दाल से बने व्यंजन भी अर्पित करते हैं।
कई क्षेत्रों में छठवें दिन देवी को लाल फल, जैसे सेब और अनार, अर्पित करने की परंपरा है। यह फल समृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक माने जाते हैं। भक्त मानते हैं कि भोग में लाल व्यंजन या शहद अर्पित करने से माँ की विशेष कृपा प्राप्त होती है और जीवन में शत्रु बाधाएँ समाप्त होती हैं।
नवरात्रि में माँ कात्यायनी की पूजा विधि
छठे दिन की पूजा विधि में विशेष शुद्धता और ध्यान का महत्व है। प्रातःकाल स्नान करके लाल या गुलाबी वस्त्र धारण करने चाहिए। पूजा स्थान पर माँ कात्यायनी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। सबसे पहले गंगाजल से स्थान और मूर्ति का शुद्धिकरण करें। तत्पश्चात देवी को लाल फूल, धूप, दीप और सुगंधित चंदन अर्पित करें।
भक्तों को देवी के सामने दीपक प्रज्वलित कर उनकी आराधना करनी चाहिए और शहद का भोग लगाना चाहिए। पूजा के दौरान मंत्रों का जप करते हुए ध्यान लगाना अति फलदायी माना गया है। अंत में आरती कर परिवार और समाज की मंगलकामना करनी चाहिए।
नवरात्रि में माँ कात्यायनी की उपासना का महत्व
माँ कात्यायनी की उपासना से भक्त को सांसारिक और आध्यात्मिक दोनों स्तरों पर लाभ प्राप्त होता है। यह पूजा साहस, आत्मविश्वास और शत्रुओं पर विजय दिलाने वाली मानी जाती है। जिन कन्याओं का विवाह में विलंब हो रहा हो, उनके लिए इस दिन की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है।
माँ कात्यायनी को धर्म की रक्षिका और न्याय की अधिष्ठात्री माना गया है। उनकी कृपा से भक्त को जीवन में न्याय, सत्य और धर्म की रक्षा करने की शक्ति मिलती है। साथ ही वे साधक को आंतरिक शांति और आत्मज्ञान की ओर भी प्रेरित करती हैं।
माँ कात्यायनी के मंत्र और श्लोक (Navratri 6th Day Mantra)
नवरात्रि में माँ कात्यायनी ध्यान मंत्र
“चंद्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्यान्महासुरमर्दिनी॥”
यह मंत्र देवी के स्वरूप का ध्यान कराने वाला है और साधक को आत्मबल प्रदान करता है।
माँ कात्यायनी पूजन मंत्र
“या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥”
इस मंत्र के जप से माँ कात्यायनी की दिव्य शक्ति साधक पर प्रकट होती है।
माँ कात्यायनी स्तुति श्लोक
“कंचनाभा महागौरि चंद्रबिंबसमप्रभा।
चंद्रहासविजारूढ़ा कात्यायनी शुभां ददाति॥”
यह श्लोक देवी की स्तुति का उत्तम माध्यम है और साधक के सभी दुख हरता है।
माँ कात्यायनी की कृपा से प्राप्त होने वाले लाभ
माँ कात्यायनी की कृपा से भक्त को साहस, बल और आत्मविश्वास मिलता है। वे शत्रुओं का नाश करती हैं और साधक को विजय दिलाती हैं। जिन कन्याओं का विवाह योग्य समय बीत रहा हो, उन्हें माँ की आराधना करनी चाहिए। उनकी कृपा से योग्य वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखमय बनता है।
इसके अलावा भक्त मानते हैं कि माँ की कृपा से आर्थिक संकट दूर होते हैं, स्वास्थ्य में सुधार होता है और जीवन की हर बाधा स्वतः समाप्त हो जाती है। आध्यात्मिक साधकों के लिए यह दिन आत्मज्ञान और ईश्वर से निकटता का मार्ग प्रशस्त करता है।
नवरात्रि के छठवें दिन का आध्यात्मिक प्रभाव
नवरात्रि का छठवां दिन साधक के लिए आत्मिक जागरण का दिन है। इस दिन की साधना से हृदय चक्र और आज्ञा चक्र सक्रिय होते हैं। साधक को ध्यान, साधना और भक्ति में विशेष सफलता मिलती है।
यह दिन साधक को केवल भौतिक सफलता ही नहीं बल्कि आत्मिक उत्थान भी प्रदान करता है। माँ कात्यायनी की उपासना से मन में दृढ़ता आती है और जीवन की कठिनाइयों का सामना करने का साहस मिलता है।
माँ कात्यायनी की कृपा से जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं, विवाह संबंधी समस्याएँ समाप्त होती हैं और शत्रुओं पर विजय मिलती है। साथ ही वे भक्त को आध्यात्मिक उत्थान और आत्मज्ञान की ओर भी अग्रसर करती हैं।
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